लखनऊ (मानवी मीडिया) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सात साल पुराने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से राहत नहीं मिली है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की कारवाई पर रोक लगाए जाने की मांग वाली केजरीवाल की याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ ने याची आम आदमी पार्टी नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए है । अरविंद केजरीवाल ने याचिका दायर कर सुल्तानपुर की अदालत में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाए जाने की मांग की थी।
गौरतलब है कि थाना मुसाफिर खाना जिला सुल्तानपुर में आप पार्टी व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ वर्ष 2015 में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था जिसमें विवेचना के उपरान्त आरोप पत्र दाखिल किया गया था। अधीनस्थ अदालत में अरविंद केजरीवाल ने आरोप मुक्त किए जाने की अर्जी दाखिल की जिसे अदालत ने चार अगस्त 2022 को खारिज कर दिया गया।
इस आदेश के खिलाफ सत्र अदालत में रिविजन दाखिल किया गया। सत्र अदालत ने 21 अक्टूबर 2022 को रिविजन याचिका खारिज कर दी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में इन आदेशो को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई।
याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह व अपर शासकीय अधिवक्ता आलोक सरन ने कहा कि आरोपी के खिलाफ अदालत आरोप पत्र दाखिल किया गया है तथा साक्ष्य के उपरान्त अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर आरोपी को तलब किया गया है। अदालत में आरोपी का विचारण चल रहा है लेकिन आरोपी विचारण में सहयोग नहीं कर रहा है। अदालत ने आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका को खारिज कर दिया।