लखनऊ: (मानवी मीडिया) आधार कार्ड को विकास योजनाओं से जोड़ने का रुझान सामने आने लगा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले 9 सालों में आधार की मदद से 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत की। 79 लाख से अधिक फर्जी लाभार्थियों की पहचान की। ये ऐसे लाभार्थी थे, जिनके जरिए सरकारी योजना का गलत फायदा उठाया जा रहा है। देश के लोगों की पहचान और पता के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की ओर से 12 अंकों का पहचान नंबर जारी किया। आधार को केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार के स्तर पर गंभीरता से लागू किया गया। इसका उपयोग विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से प्रत्यक्ष लाभ योजना (DBT) के लिए किया गया था। UIDAI फेस ऑथेंटिकेशन, बायोमेट्रिक्स जैसे थंप प्रिंट या रेटिना स्कैन की मदद से लाभार्थियों की पहचान करने की सुविधा देता है। इस सुविधा ने सरकार को एक बड़ी राहत दे दी है।
लाभार्थियों की पहचान में सफल हो रहा आधार
आधार कार्ड के जरिए सरकारी योजना के सही और फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने में सफलता मिली है। यूआईडीएआई, लखनऊ क्षेत्र के उप महानिदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत कुमार सिंह कहते हैं कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर में आधार ने बड़ी भूमिका निभाई है। आधार कार्ड के जरिए घोस्ट, फर्जी और नकली लाभार्थियों की पहचान तुरंत हो रही है। ऐसे लाभार्थियों को लाभुकों की सूची से हटाने में आधार ने बड़ी भूमिका निभाई है। आधार आधारित ऑथेंटिकेशन के कारण यह संभव हुआ है। अब एक व्यक्ति किसी एक जगह पर ही योजनाओं का लाभ ले सकता है। आधार ऑथेंटिकेशन के कारण दूसरी जगह लाभ लेने का प्रयास करने पर भी मामला पकड़ में आता है।
क्षेत्रीय उप महानिदेशक कहते हैं कि आधार के कारण केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही प्रमाणित किया जाता है। सिस्टम से नकली लाभार्थियों को समाप्त करने में मदद मिली है। वास्तविक लाभार्थियों के खाते में ही बेनेफिट ट्रांसफर किया जाता है। उन्होंने कहा कि कई मजदूरों में कड़ी मेहनत के कारण उंगलियों का निशान मिट जाते हैं। बायोमेट्रिक में उनका डेटा रीड नहीं हो पाता है। ऐसे में उनकी प्रमाणिकता साबित करना कठिनाई भरा रहता है। इसलिए, आईरिस कैप्चर डिवाइस के माध्यम से प्रमाणित करने का विकल्प दिया गया है।
आधार कार्ड के जरिए सरकारी योजना के सही और फर्जी लाभार्थियों की पहचान करने में सफलता मिली है। यूआईडीएआई, लखनऊ क्षेत्र के उप महानिदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत कुमार सिंह कहते हैं कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर में आधार ने बड़ी भूमिका निभाई है। आधार कार्ड के जरिए घोस्ट, फर्जी और नकली लाभार्थियों की पहचान तुरंत हो रही है। ऐसे लाभार्थियों को लाभुकों की सूची से हटाने में आधार ने बड़ी भूमिका निभाई है। आधार आधारित ऑथेंटिकेशन के कारण यह संभव हुआ है। अब एक व्यक्ति किसी एक जगह पर ही योजनाओं का लाभ ले सकता है। आधार ऑथेंटिकेशन के कारण दूसरी जगह लाभ लेने का प्रयास करने पर भी मामला पकड़ में आता है।
क्षेत्रीय उप महानिदेशक कहते हैं कि आधार के कारण केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही प्रमाणित किया जाता है। सिस्टम से नकली लाभार्थियों को समाप्त करने में मदद मिली है। वास्तविक लाभार्थियों के खाते में ही बेनेफिट ट्रांसफर किया जाता है। उन्होंने कहा कि कई मजदूरों में कड़ी मेहनत के कारण उंगलियों का निशान मिट जाते हैं। बायोमेट्रिक में उनका डेटा रीड नहीं हो पाता है। ऐसे में उनकी प्रमाणिकता साबित करना कठिनाई भरा रहता है। इसलिए, आईरिस कैप्चर डिवाइस के माध्यम से प्रमाणित करने का विकल्प दिया गया है।
जल्द शुरू होगा फेस ऑथेंटिकेशन
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत कुमार सिंह कहते हैं कि बहुत जल्द हम फेस ऑथेंटिकेशन भी शुरू करेंगे। अभी यह परीक्षण के चरण में है। नकद के लिए डीबीटी ज्यादातर स्कॉलरशिप, किसान प्रोत्साहन और मनरेगा मजदूरी के लिए है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण, स्कूल ड्रेस और कौशल विकास प्रशिक्षण में भी आधार की बड़ी भूमिका सामने आई है। फेस ऑथेंटिकेशन शुरू करने से लोगों को आंख या उंगलियों के निशान के साथ-साथ फेस ऑथेंटिकेशन का भी विकल्प भी आ जाएगा।
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत कुमार सिंह कहते हैं कि बहुत जल्द हम फेस ऑथेंटिकेशन भी शुरू करेंगे। अभी यह परीक्षण के चरण में है। नकद के लिए डीबीटी ज्यादातर स्कॉलरशिप, किसान प्रोत्साहन और मनरेगा मजदूरी के लिए है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण, स्कूल ड्रेस और कौशल विकास प्रशिक्षण में भी आधार की बड़ी भूमिका सामने आई है। फेस ऑथेंटिकेशन शुरू करने से लोगों को आंख या उंगलियों के निशान के साथ-साथ फेस ऑथेंटिकेशन का भी विकल्प भी आ जाएगा।