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Friday, October 1, 2021

उ0प्र0 सिन्धी अकादमी ने महात्मा गांधी की 152वी जयंती पर की सगोष्ठी


 लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी द्वारा अमृत महोत्सव तथा चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव वर्ष के अन्तर्गत राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी  की 152वीं जयन्ती के पूर्व संध्या पर दिनाँक 01 अक्टूबर, 2021 को अपरान्ह् 03ः00 बजे से अकादमी कार्यालय- कक्ष संख्या 512, इन्दिरा भवन, लखनऊ में सिन्धी संगोष्ठी विषय-‘‘भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी  का योगदान‘‘ का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी उपाध्यक्ष नानक चन्द लखमानी  द्वारा की गयी। 

कार्यक्रम में सर्वप्रथम भगवान झूलेलाल, महात्मा गाँधी तथा लालबहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। उक्त कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार हरीश वाधवानी,  सिन्धी विद्वान, प्रो0 जी0के0 लालचन्दानी, सिधी साहित्यकार,  प्रकाश गोधवानी, सिंधी विद्वान  डी0सी0 चन्दानी, सिन्धी विद्वान  ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। 

कार्यकम में मुख्य वक्ता  हरिशंकर  द्वारा अपने वक्तव्य में अवगत कराया गया कि भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए आन्दोलन की अगुवाई की थी। महात्मा गाँधी की शांतिपूर्ण और अहिंसक नीतियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संघर्ष का आधार बनाया। 

वह जैसा भारत को जैसा देखना चाहते थे, वैसा नहीं देख पाये। स्वदेशी को अपनाओ और विदेशी का बहिष्कार करो। सन् 1916 ई0 में वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के अवसर पर महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि जो वह शिक्षा चाहते हैं, वह अपने देश भारत में नहीं हो पा रही है। भारतीय शिक्षा ऐसी शिक्षा होगी, जिसके पठन पाठन से प्रत्येक भारतीय धर्म एवं संस्कृति से ओतप्रोत होकर ज्ञान प्राप्त कर सके।

कार्यक्रम में  प्रो0 जी0के0 लालचन्दानी द्वारा अपने वक्तव्य में अवगत कराया गया कि स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी द्वारा जो प्रमुख हथियार अपनाया गया था, वह अहिंसात्मक आन्दोलन था। इस हथियार से ब्रिटेन जैसी महाशक्ति को भी हार माननी पड़ी। महात्मा गाँधी अंहिसा के बदौलत सफल रहे, जबकि हिंसात्मक शक्ति प्रयोग से हिटलर जैसे महाबली हार गये। अब पूरी दुनिया मानती है कि देशों का सहअस्तित्व अंहिसा द्वारा ही सम्भव है। संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य यह भी होता है कि दूसरे देश की प्रभुसत्ता में कोई भी हस्तक्षेप न किया जाये। संयुक्त राष्ट्र द्वारा महात्मा गाँधी के जन्मदिवस पर अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस मनाये जाने की घोषणा की है। 

 प्रकाश गोधवानी द्वारा अवगत कराया गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी अंग्रेजों से लड़ने के लिए पूरे देश को एक छत्र के नीचे लाने में सक्षम थे। उनके पद्चिन्हों पर चलकर ही आज हम आजादी के इस अमृत महोत्सव को हर्षोल्लास से मनाने में सक्षम हुयें हैं। उन्होंने चार पँक्तियाँ इस प्रकार पढ़ीः-

मैं गाँधी हूँ लेकिन सत्ता का भूखा नहीं।

देष का वफादार हूँ परतंत्रता मुझे मंजूर नहीं।।

चाहों जो कहना है कह दो।

मैंने कहकर नहीं, करके दिखलाया है।।

वरिष्ठ साहित्यकार  हरीश वाधवानी  द्वारा अवगत कराया गया कि सिन्धी समाज का प्रत्येक घर देश की आजादी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अवगत कराया कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा स्वतंत्रता एवं समाज सेवा के लिए सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया गया। उन्होंने भारत का भ्रमण किया और गरीबी को देखकर अपना कोट पैण्ट त्याग दिया और विदेशी वस्तुओं को बहिष्कार करते हुये चर्खा चलाया। 

कार्यक्रम अध्यक्ष  नानक चन्द लखमानी द्वारा अकादमी में किये गये कार्यकलापों एवं गतिविधियों से सभी को अवगत कराया गया। 

अकादमी निदेशक  हरि बख्श सिंह जी ने अतिथियों को आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही राष्ट्रगान गाकर कार्यक्रम का समापन किया गया।

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