अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, 36 वें स्थापना दिवस पर सर्वपंथीय धर्मसभा का आयोजन - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Sunday, February 28, 2021

अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, 36 वें स्थापना दिवस पर सर्वपंथीय धर्मसभा का आयोजन


लखनऊ (मानवी मीडिया )अन्तर्राष्ट्रीयबौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा  28 फरवरी, 2021 को संस्थान के 36 वें स्थापना दिवस के अवसर पर संत गाड़गे  महाराज प्रेक्षागृह, संगीत नाटक अकादमी, गोमती नगर, लखनऊ में “सर्वपंथीय धर्मसभा“ का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न पंथों के धर्मगुरू एवं देश-विदेश से आये हुए भिक्षुगण एवं विद्वान उपस्थित हुए और विद्वत जनों ने सर्वपंथीय मैत्री पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। धर्म सभा आयोजन का प्रारम्भ सभी धर्म के प्रतिनिधियों, भिक्षुओं तथा विद्वानों के साथ पद यात्रा के साथ हुआ इसके पश्चात् भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं राष्ट्रगान हुआ। स्वागत भाषण में मा0 भदन्त शान्ति मित्र, अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान ने मंचासीन अतिथिगणं एवं देश-विदेश से आये हुए विभिन्न धर्मी समाज के लोगों का अभिनन्दन किया और कहा कि हमारा देश आध्यात्म प्रधान देश है

हमारी सभ्यता, संस्कृति, कला, क्षमता, दक्षता गाॅव से ही निकली है जो विश्व के कोने-कोने में फैली है। धर्म प्रकृति रूप में है और प्रकृति सर्वाेपरि है। जैसे फूल का धर्म है सुगन्ध देना वह चाहे मन्दिर में, चर्च में, गुरूद्वारे में हो लेकिन पुष्प अपनी सुगन्ध को नहीं बदलता वह सुगन्ध देता रहता है उसी प्रकार हम भी अपने मैत्री भाव, मानव कल्याण हेतु सर्वपंथ को लेकर अभियान का संकल्प लिये है और उसको फलीभूत करने के लिए आप लोगांे का जो सहयोग प्राप्त हो रहा है उसके लिए सभागार में उपस्थित समस्त लोगों का स्वागत करता हूॅ। आर्य समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए इंजीनियर कान्ति भाई ने बताया कि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की शिक्षा का सरोकार वेदों से है और वैदिक शिक्षा का आधार मानव कल्याण है और बौद्ध संस्थान सर्वपंथीय धर्मसभा आयोजित कर इस उद्देश्य को फलीभूत कर रहा है। उपाध्यक्ष, जैन संस्थान डाॅ0 (प्रो0) अभय कुमार जैन ने बताया कि धर्म हमारी आत्मा में ही है। आत्मा के अन्दर ज्ञान की चेतना ही धर्म है।

निदेशक, अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान शिव कुमार पाठक  ने संस्थान के विषय में प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्थान बौद्ध अध्ययन से सम्बन्धित शोध, शिक्षण कार्य, प्रकाशन का कार्य करने के साथ-साथ बौद्ध स्थलों को सजोंकर व्यवस्थित करने का कार्य भी कर रहा है जिसके लिए वह देश-विदेश के बौद्ध शिक्षण संस्थाओं के सम्पर्क में भी है।  हरगोविन्द कुशवाहा, उपाध्यक्ष, संस्थान ने कहा कि सभी धर्मों में मानव कल्याण की बात कही गयी है तथा सभी पंथ के लोगों को मिल जुलकर रहना चाहिए। सिंख समाज के प्रतिनिधि के रूप में आये सरदार मनजीत सिंह  ने बताया कि संविधान की प्रस्तावना में किसी भी आधार पर भेदभाव न करने की बात कही गयी है तथा बौद्ध धर्म के मूल सिद्धान्त मध्यम मार्ग को अपनाने पर बल दिया। लंका के भिक्षु डाॅ0 सुमेध थेरो बताया कि दुनिया में सबसे अधिक शोध भगवान बुद्ध के ऊपर हुआ है।

आपने बताया कि समांतर सूत्र में अजातशत्रु को सर्वपंथीय धर्म का उपदेश भगवान बुद्ध ने दिया था तथा भगवान बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य उपालि को प्रवज्या देकर इसी सर्वपंथ को बढ़ावा देने का कार्य दिया था। इसके साथ ही भिक्षु शीलरतन,  धर्मराज बौद्ध, भदन्त अनिरूद्ध, भिक्षु देवानन्द वर्धन, श्री करूणेश बौद्ध आदि वक्ताओं ने सर्वपंथीय धर्म सभा पर विस्तार से प्रकाश डाला। अन्त में निदेशक संस्थान  शिव कुमार पाठक जी ने आये हुए अतिथियो, धर्मगुरूओं एवं पत्रकार बन्धुओं तथा सभी सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

Post Top Ad