बैंकों ने माना 68 हजार करोड़ का कर्ज अब वापस नहीं मिलेगा, शीर्ष 50 विलफुल डिफाल्टर में चाैकसी - मानवी मीडिया

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Tuesday, April 28, 2020

बैंकों ने माना 68 हजार करोड़ का कर्ज अब वापस नहीं मिलेगा, शीर्ष 50 विलफुल डिफाल्टर में चाैकसी




  • बिज़नेस मंगलवार 28 अप्रैल, 2020 |मुंबई देश के बैंकों ने तकनीकी तौर पर 50 बड़े विलफुल डिफाल्टर्स के 68,607 करोड़ रुपए के कर्ज की बड़ी राशि को बट्टा खाते में डाल दिया है। कर्ज बट्टे खाते में डालने का मतलब अब बैंक यह मान चुके हैं कि ये कर्ज नहीं मिलने वाले हैं।इन विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी भी शामिल है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दी गई जानकारी से सामने आई है। आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने सूचना का अधिकार कानून के तहत देश के केंद्रीय बैंक से 50 विलफुल डिफाल्टर्स का ब्योरा और उनके द्वारा लिए गए कर्ज की 16 फरवरी तक की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। गोखले ने बताया कि जो जानकारी सरकार ने नहीं दी वह आरबीआई के केंद्रीय जन सूचना आधिकारी अभय कुमार ने शनिवार यानी 24 अप्रैल को दी, जिसमें कई चैंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आरबीआई ने बताया कि इस राशि (68607 करोड़ रुपये) में बकाया और टेक्निकली या प्रूडेंशियली 30 सितंबर, 2019 तक बट्टा खाते में डाली गई रकम है। इससे पहले की रिपोर्ट में एक चूक हो गई थी जिसे अब सुधार ली गई है। गोखले ने कहा, "आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2015 के फैसले का हवाला देते हुए विदेशी कर्जदारों के संबंध में जानकारी देने से मना कर दिया था।" इन डिफाल्टर्स की सूची मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड शीर्ष पर है, जिस पर 5,492 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा, गिली इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड ने क्रमश: 1,447 करोड़ रुपये और 1,109 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। चोकसी इस समय एंटीगुआ और बारबाडोस द्वीप समूह के नागरिक है जबकि उसका भांजा व भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी इस समय लंदन में है।सूची में दूसरे स्थान पर आरईआई एग्रो लिमिटेड का नाम है, जो 4,314 करोड़ रुपये का कर्जदार है। इस कंपनी के निदेशक संदीप झुनझुनवाला और संजय झुनझुनवाला करीब एक साल से प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में हैं। सूची में आगे 4000 करोड़ रुपये के बै्रकेट में भगोड़ा हीरा कारोबारी जतिन मेहता की कंपनी विन्सम डायमंड एंड ज्वेलरी का नाम है जिस पर 4,076 करोड़ रुपये का कर्ज है। केंद्रीय जांच ब्यूरो विभिन्न बैंकों से जुड़े इस मामले की जांच कर रहा है। इसके बाद 2000 करोड़ रुपए की श्रेणी में कानपुर की कंपनी रोटोमक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड है जोकि जाने माने कोठारी समूह की कंपनी है, जिस पर 2850 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके अलावा, पंजाब की कुडोस केमी (2,326 करोड़ रुपये), बाबा रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी समूह इंदौर स्थित रुचि सोया इंडस्ट्रीज (2,212 करोड़ रुपये) और ग्वालियर की जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (2,012 करोड़ रुपये) जैसी कंपनियों के नाम इस सूची में शामिल हैं। बात अगर 1,000 करोड़ रुपये के सेगमेंट में आने वाली कंपनियों की करें तो इसमें 18 कंपनियों के नाम हैं। इन कंपनियों में अहमदाबाद स्थित हरीश आर. मेहता की कंपनी फोरएवर प्रीसियस ज्वेलरी एंड डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड (1,962 करोड़ रुपये), भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (1,943 करोड़ रुपये) शामिल हैं। अगर, 1000 करोड़ से कम की श्रेणी की बात करें तो इसमें 25 कंपनियां शामिल हैं, जिनमें व्यक्तिगत व कंपनी समूह भी हैं। इन पर कर्ज की रकम 605 करोड़ रुपये से 984 करोड़ रुपये तक है। बैंकों को चूना लगाने वाले इन 50 बड़े विलफुट डिफाल्टर्स में छह ऐसे हैं जो हीरा और सोने के आभूषण के कारोबार से जुड़े हैं। गोखले ने कहा, "इनमें से अधिकांश ने प्रमुख राष्ट्रीय बैंकों को पिछले कई वर्षों से चूना लगाया है और कई लोग या जो देश छोड़कर भाग गए हैं या विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं।"




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