नुपूर ने मौत को दी मात, नहीं बनने दी विकलांगता को कमजोरी सोमवार 30 सितंबर 2019 - मानवी मीडिया

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Monday, September 30, 2019

नुपूर ने मौत को दी मात, नहीं बनने दी विकलांगता को कमजोरी सोमवार 30 सितंबर 2019



उन्नाव की नुपूर को डॉक्टरों ने पैदा होते ही मृत घोषित किया था, लेकिन नुपूर जीवित हैं और आज उनकी कहानी हर जुबां पर है। कौन बनेगा करोड़पति में नुपूर लाखों जीतकर दिखा चुकी हैं कि हौंसले बुलंद हों, तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं।






उन्नाव। कहते हैं कि जिसकी किस्मत बलवान हो, उसे आगे बढ़ने से कोई भी बाधा नहीं रोक सकती। यह वाक्य उत्तर प्रदेश के उन्नाव की नुपूर चौहान पर एकदम सटीक बैठता है। कानपुर के एक अस्पताल में नुपूर का जब जन्म हुआ था, तो उसे चिकित्सकों ने मृत घोषित कर कचरे में फेंक दिया था। लेकिन एक रिश्तेदार को उस लड़की में जीवन के कुछ लक्षण दिखे, तो वो उसे कचरे उठा लाए। सब यह देखकर हैरान थे कि जिस लड़की को डॉक्टरों ने मृत घोषित किया था वो जिंदा है। नुपूर बचपन से ही विकलांग हैं। लेकिन उनकी यह कमजोरी कभी उनके हौंसले के आगे नहीं आई। पढ़ने-लिखने में होशियार नुपूर ने बारहवीं करने के बाद पहले ही प्रयास में बीएड प्रवेश परीक्षा पास की।
नुपूर हमेशा ही टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति की प्रशंसक रहीं और टीवी पर शो देखते हुए उसके सवालों के जबाव भी देती थीं। कौन बनेगा करोड़पति के बारहवें सीजन के लिए परिजनों ने नुपूर को इसमें आवेदन करने के लिए कहा। नुपूर ने मरे मन से आवेदन तो कर दिया, लेकिन उनको शायद यह भरोसा नहीं था कि उनका चयन हो जाएगा। नुपूर का चयन होने पर उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। इसमें नुपूर ने 12.5 लाख रुपये जीते।
नुपूर आज अपनी मौसी की समझदारी से परिवार का मान व अभिमान बनी हैं। लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही ने नुपूर को पैरों से दिव्यांग बना दिया।


नुपूर के परिजनों का कहना है कि जब वह पैदा हुई थीं, तो सर्जिकल औजार उसे लग गए थे और वो रोई भी नहीं। इस पर डॉक्टरों ने कह दिया कि नुपूर मर चुकी है और उसे कूड़े के ढेर में फेंक दिया। नुपूर की नानी को यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने नुपूर की मौसी नीलम से कहा कि नर्स से कहो बच्चे को साफ कर उसे थपथपा दें क्या पता सांस चल जाएं। और हुआ भी वहीं नुपूर रोने लगी और करीब बारह घंटे तक रोती रही। डॉक्टरों की लापरवाही से वह जीवनभर के लिए विकलांग हो गईं। नूपुर अब अपने गांव के लिए किसी स्टार से कम नहीं है। लोग उससे मिलने के लिए उसके घर आते हैं। नुपूर अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से आज मां-बाप का ही नहीं देश स्तर पर गांव की पहचान बन चुकी हैं। उन्नाव जिले के बीघापुर में रहने वाले नूपुर का जन्म किसान रामकुमार सिंह और उनकी पत्नी कल्पना सिंह के घर हुआ था।




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