नकली आंखों को नहीं पहचान पायेंगी असली आंखें - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Saturday, March 2, 2024

नकली आंखों को नहीं पहचान पायेंगी असली आंखें


लखनऊ : (मानवी मीडियाप्राकृतिक आंखों से भी कृत्रिम आंख को देखकर पहचाना नहीं जा सकेंगा, कि यह असली है या नकली। आंखों के भौहें और पलकें सब असली जैसे दिखेंगे और आंखें भी झपकेंगी। इस दिशा में शोध कार्य भी चल रहा है। डॉक्टरों के इस अनूठे प्रयास से उन लोगों में उम्मीद की किरण जगी है जो किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण अपनी आंखें खो चुके हैं केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के एचओडी प्रो. पूरन चंद ने बताया कि कृत्रिम अंग को असली जैसा बनाने के लिए सभी उन्नत और नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसी सिलसिले में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मैक्सियोफेशियल प्रोस्थोडॉन्टिक्स पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में देश-विदेश से आए प्रतिनिधियों को कृत्रिम आंखें बनाने, रंग मिलान और पलकें व भौहें बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक्स एवं क्राउन एंड ब्रिजेस विभाग ने माहिडोल यूनिवर्सिटी, बैंकॉक, थाईलैंड के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के आयोजन अध्यक्ष प्रो. पूरन चंद रहे। उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा केवल दांतों और मौखिक संरचनाओं की समस्याओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें इन रोगियों के सौंदर्यशास्त्र और आत्मविश्वास में सुधार के लिए आंख, नाक, कान और संबंधित चेहरे की संरचनाओं के कृत्रिम अंग बनाना भी शामिल है। प्रोफेसर रघुवर दयाल सिंह ने बताया कि ब्लैक फंगस से पीड़ित रोगी के सर्जरी के बाद जटिल विकृति के मामलों में जबड़े और आंखें अलग-अलग बनाकर चुंबक से जोड़ दी जाती हैं।  प्रो. सुनीत कुमार जुरेल ने कहा कि कृत्रिम आंख से मरीज की दृष्टि में सुधार नहीं होगा बल्कि यह मरीज को समाज में दृष्टि से सुंदर बनाती है, 

जिससे उनके आत्मविश्वास और व्यक्तित्व के स्तर में सुधार होता है। प्रोफेसर बालेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि ऐसे पुनर्वास करने वाले प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी है और हमारा लक्ष्य पूरे देश में ऐसी कार्यशालाएं और प्रशिक्षण शुरू करना है। इसका इलाज काफी महंगा होने के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। केजीएमयू में यह इलाज न्यूनतम या बिना किसी शुल्क के किया जाता है। डॉक्टरों ने विभिन्न नैदानिक मामलों और नवीनतम तकनीकों पर वैज्ञानिक पोस्टर प्रस्तुति दी गई। इन सत्रों का मूल्यांकन विशेषज्ञ शिक्षकों की टीम में प्रो. कमलेश्वर सिंह, प्रो. सौम्येन्द्र विक्रम सिंह, प्रो. शुचि त्रिपाठी, प्रो. जीतेन्द्र राव और प्रो. कौशल किशोर अग्रवाल ने किया।

Post Top Ad