लखनऊ( मानवी मीडिया) राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति में अवगत कराया है कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री की विगत माह मुलाकात के दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा प्राथमिकता के साथ उठाया गया था l आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ हो रही मनमानी, समय से मानदेय का भुगतान नहीं किया जाना एवं मनमानी ढंग से मानदेय के भुगतान किए जाने का प्रकरण मुख्य रूप से उठाया गया था lमुख्यमंत्री ने आउटसोर्स कर्मचारियों के उत्पीड़न के प्रति अपनी चिंता प्रकट करते हुए इनका उत्पीड़न समाप्त करने का आश्वासन दिया था l संयुक्त परिषद के पत्र के आधार पर मुख्यमंत्री कार्यालय से श्रम एवं सेवायोजन विभाग को आउटसोर्स कर्मचारियों की न्यूनतम में मजदूरी तय करने एवं उनके लिए नीति बनाने के निर्देश भेजे गए हैं l इसकी सूचना संयुक्त परिषद को भी कार्मिक विभाग से उपलब्ध कराई गई है l सेवायोजन विभाग की नीति को कैबिनेट की हरी झंडी का इंतजार है lनीति जारी हो जाने के बाद आउटसोर्स कर्मचारी को न्यूनतम मानदेय मिलेगा l प्रत्येक माह के 15 तारीख से पहले मानदेय का भुगतान करना होगा l कोई सेवा प्रदाता है एजेंसी किसी आउटसोर्स कर्मचारी को मनमानी ढंग से निकाल नहीं सकेगी l चयन समिति के माध्यम से चयन होगा जिसमें प्रशासकीय विभाग का प्रतिनिधि भी मौजूद रहेगा l आउटसोर्स कर्मचारी के कार्यों की समीक्षा प्रशासकीय विभाग करेगा एवं बिना प्रशासकीय विभाग की संस्तुति के कोई आउटसोर्स कर्मचारी सेवा से निकाला नहीं जाएगा l
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी एवं सचिव अरुणा शुक्ला ने आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाए जाने के निर्णय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री जी का आभार किया है l जे एन तिवारी ने मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाया है कि जहां एक तरफ आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं संरक्षित की जा रही है ,वहीं दूसरी तरफ विभिन्न विभागों में रखे गए संविदा कर्मचारी का विभागीय स्तर पर उत्पीड़न बढ़ रहा हैl मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद भी की कोई संविदा/ आउटसोर्स कर्मचारी निकाला नहीं जाएगा, समाज कल्याण विभाग में विगत 2 वर्षों में 16 संविदा शिक्षकों की संविदा समाप्त की जा चुकी है l जनजाति विकास विभाग की उपनिदेशक ने इसी वर्ष आठ संविदा शिक्षकों को संविदा से निकाले जाने की नोटिस दिया है जिस पर पुनर्विचार के लिए प्रमुख सचिव समाज कल्याण एवं विभागीय मंत्री जी से वार्ता भी हुई थी परंतु अभी तक उपनिदेशक के स्तर से कोई कार्यवाही नहीं हुई lइस संबंध में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने विभाग के प्रमुख सचिव एवं विभागीय मंत्री से कई बार वार्ता भी किया है लेकिन अभी तक संविदा से निकाले गए 16 शिक्षक वापस नहीं लिए गए हैं l समाज कल्याण विभाग में जनजाति विकास विभाग में कार्यरत 53 संविदा शिक्षकों को अभी तक सातवें वेतन आयोग के क्रम में वित्त विभाग द्वारा निर्गत 6 मार्च 2023 के शासनादेश देश के अनुसार संविदा राशि के संशोधन का लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि जनजाति विकास विभाग के 53 संविदा शिक्षक वित्त विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश की सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर रहे हैं lबताया जा रहा है कि पत्रावली वित्त विभाग में लंबित पड़ी हुई है जबकि समाज कल्याण विभाग में कार्यरत संविदा शिक्षकों को यह लाभ 13 सितंबर 2023 से दिया जा चुका है l जनजाति विकास विभाग के विद्यालयों में कार्यरत संविदा शिक्षकों के साथ यह भेदभाव उचित नहीं है l
जे एन तिवारी ने समाज कल्याण एवं जनजाति विकास विभाग के निकाले गए 16 संविदा शिक्षकों को संविदा पर वापस लिए जाने एवं जनजाति विकास विभाग के संविदा शिक्षकों को संविदा राशि में संशोधन का लाभ दिए जाने के लिए मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर इस संबंध में हस्तक्षेप करते हुए कार्यवाही किए जाने का अनुरोध भी किया है l
नारायण दूबे, प़ान्तीय बरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष, मीरजापुर