लखनऊ: (मानवी मीडिया) खनन विभाग से जुड़ी 22 फाइलों ने आठ आईएएस अफसरों के खिलाफ ईडी की जांच को अटका रखा है। करीब एक महीने पहले ईडी ने खनन विभाग से इन 22 फाइलों को मांगा था। लेकिन विभाग के अफसर फाइलें सीबीआई के पास होने की बात कहकर टाल रहे हैं। फाइलों को हासिल करने के लिए ईडी विधिक राय ले रहा है। दरअसल, इन फाइलों के चलते खनन घोटाले के आरोपित आईएएस अफसरों के खिलाफ जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।
खनन घोटाले में ईडी ने आईएएस जीवेश नंदन(रिटायर्ड), बी़ चंद्रकला, अभय कुमार सिंह, विवेक, देवीशरण उपाध्याय और संतोष राय नामजद आरोपित हैं। ईडी इनमें से ज्यादातर अफसरों से एक बार पूछताछ कर चुकी है। लेकिन गायत्री प्रजापित व अन्य आरोपितों से हुई गहन पूछताछ, पड़ताल के बाद जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनके लिए ईडी ने खनन विभाग से उस दौरान की 22 फाइलें मांगी हैं।
ये फाइलें 2012 से 2016 के बीच खनन पट्टों के नवीनीकरण से जुड़ी हुई हैं। ईडी के डिप्टी डायरेक्टर द्वारा इन फाइलों के संबंध में खनन विभाग से पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन खनन विभाग फाइलें खुद के पास न होने की बात कह रहा है।
संपत्तियों पर कसेगा ईडी का शिकंजा
पूर्व सपा एमएलसी रमेश मिश्रा की संपत्तियों पर ईडी जल्द ही शिकंजा कसेगी। वर्तमान में ईडी गायत्री प्रजापति से जुड़ी सभी संपत्तियों को अटैच करने के बाद कब्जे में ले रहा है। इसके साथ ही ईडी ने पूर्व एमएलसी रमेश मिश्रा की कानपुर और दिल्ली स्थित संपत्तियों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है।
सपा सरकार के कार्यकाल में हमीरपुर में बिना ई-टेडरिंग के 49 पट्टे मौरंग खनन के लिए जारी हुए थे। बाद में दस और पट्टे जारी किए गए थे। सर्वाधिक पट्टे एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई दिनेश मिश्रा, बबलू उर्फ अंबिका को दिए गए थे। ईडी का मानना है कि अवैध खनन से हुई कमाई को रमेश मिश्रा ने दिल्ली और कानपुर की संपत्तियों में निवेश किया है।