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Wednesday, November 16, 2022

संगीत शिक्षा में गर्भाधान संस्कार विषय को भी जोड़ा जाये -राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

लखनऊ (मानवी मीडिया)प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति  आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए राज्यपाल जी ने उपधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और कहा कि सांस्कृतिक विकास देश की समृद्धता का प्रतीक होता है। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन और समृद्ध संस्कृति में गिनी जाती है। हमारे देश में संगीत और नृत्य एक साधना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में शास्त्रीय, भक्ति और लोक संगीत की एक बृहद परम्परा स्थापित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि दीक्षान्त समारोह में उपाधि प्राप्त विद्यार्थी देश-विदेश में भारतीय संगीत को विख्यात करके अपने गुरूजनों और माता-पिता के सम्मान में वृद्धि करेंगे।

राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह को विद्यार्थी जीवन की उपलब्धि का विशेष दिन बताते हुए कहा कि शिक्षा चारित्रिक गुणों का उच्चतम विकास करके ऐसे संस्कार देती है, जिसका हम व्यवहारिक जीवन में उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि संगीत मनुष्य को अंतर्मन तक प्रभावित करता है। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति से अपेक्षा की कि संगीत शिक्षा सिलेबस में संगीत के माध्यम से गर्भाधान संस्कार विषय को भी जोड़ा जाये। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गर्भवती महिला को शिक्षा-प्रद कथा-कहानी, संगीत, नृत्य और नाटिकाओं को सुनने-सुनाने, दिखाने की परम्परा रही है, जिससे गर्भस्थ शिशु तक संस्कार-शिक्षा को पहुँचाया जाये। लेकिन अब ये परम्परा विलुप्त होने लगी है। इसलिए ये जरूरी है कि इसे विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।
राज्यपाल जी ने अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुपालन में रोजगार परक शिक्षा से जोड़ने को भी कहा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को संगीत के साथ-साथ कुछ तकनीकी ज्ञान, कम्पयूटर प्रशिक्षण, सामाजिक गतिविधियों, सेवा कार्यों से भी जोड़ें। उन्होंने कहा कि अब प्रत्येक विश्वविद्यालय को नैक एक्रीडेशन कराना अनिवार्य हो रहा है।  नैक विविध पैरामीटर्स पर मूल्यांकन करता है। इसलिए विश्वविद्यालय अपनी संगीत शिक्षा के साथ-साथ विविधिता का विस्तार भी करे।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा कम्यूनिटी रोडियो प्रारम्भ करके संगीत की विविध विधाओं और विलुप्त होते लोक संगीत को जन-जन तक प्रसारित करने, स्कूलों में संगीत प्रतियोगिताएं कराकर बच्चों की प्रतिभाओं का विस्तार करने और उनमें संगीत के प्रति रूचि पैदा करने के लिए भी कहा।
आज के कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल  द्वारा ‘‘जल भरो‘‘ कार्यक्रम से किया गया। राज्यपाल जी ने मटकी में जलधारा डालकर जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है, वो उतने जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करें।
दीक्षांत समारोह में वर्ष 2021 से 2022 के बीच पास हुए कुल 155 विद्यार्थियों, कलाकारों व 03 शोधार्थियों को उपाधि दी गयी। इसमें श्रेष्ठ विद्यार्थियों को 30 स्वर्ण पदक, 09 रजत पदक और 08 कांस्य पदक से अलंकृत किया गया। कुल पदकों की संख्या 47 थी ओैर पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी 22 थे।
समारोह में राज्यपाल जी ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की 12वीं स्मारिका तथा विश्वविद्यालय द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई कलाकारों के जीवन परिचय और उनकी विधाओं की जानकारी ऑडियो-वीडियो माध्यम से देने वाली भारतीय कलाकार कैटलॉग पुस्तक- ‘‘भारतीय कलाकार-एक परिचय‘‘ का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि एवं देश के प्रख्यात नर्तक पद्मश्री पुरू दाधिच ने कहा कि संगीत प्राणि मात्र के लिए ईश्वर का वरदान है। इसे ब्रह्मानंद सहोदर कहा जाता है। इसके पठन-पाठन से प्रमाद न करें और हमेशा अध्ययनशील बने रहें।
लखनऊ मण्डल की मण्डलायुक्त एवं भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ की कुलपति डॉ0 रोशन जैकब ने समारोह में विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। उन्होंने 11वें दीक्षान्त समारोह में कुलाधिपति द्वारा प्रदत्त निर्देशों के अनुपालन में कराए गए कार्यों का विवरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने जानकारी दी कि दीक्षान्त से पूर्व 05 दिन तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें 9 से 12 तथा 13 से 18 आयु वर्ग के विद्यार्थियों के मध्य विविध संगीत प्रतियोगिताएं, कठिंगरा गाँव में महिला सशक्तिकरण पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, विश्वविद्यालय परिसर में स्वच्छता हेतु श्रमदान, पूर्व छात्रों का समागम, विद्यार्थियों में निबन्ध लेखन, वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया।
राज्यपाल जी ने प्रतियोगिता में विजयी 37 विद्यार्थियों को समारोह में प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया तथा बालिकाओं को पोषण सामग्री वितरित की।
इस अवसर पर भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी, स्कूलों से आए छात्र-छात्राएं तथा अन्य महानुभाव उपस्थित

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