विधायकों को अग्रिम जमानत के अनुरोध वाली याचिका खारिज - मानवी मीडिया

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Friday, July 22, 2022

विधायकों को अग्रिम जमानत के अनुरोध वाली याचिका खारिज

 


मुंबई (
मानवी मीडिया विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) अदालत ने शुक्रवार को महा विकास आघाड़ी के सभी सांसदों और विधायकों के लिए अग्रिम जमानत के अनुरोध वाली एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह विचार योग्य नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा आदेश जारी करना एक गलत परंपरा स्थापित करेगा।

महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में शिवसेना का उद्धव ठाकरे खेमा, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं। महाराष्ट्र में 29 जून तक यह गठबंधन सत्ता में था। जून में कांग्रेस कार्यकर्ता मधु होलामगी, यूसुफ पटेल और रंजीत दत्ता द्वारा जून में दायर याचिका में दावा किया गया कि केंद्र (तत्कालीन) राज्य सरकार को दबाने के इरादे से एमवीए घटकों को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहा था।

अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा था, लेकिन जांच एजेंसी ना तो पेश हुई, ना ही याचिका के विरोध में जवाब दाखिल किया। पीएमएलए मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने अपने आदेश में कहा कि इस याचिका में बेहद आश्चर्यजनक और अजीबोगरीब स्थिति बनाई गई। अदालत ने कहा कि पूरी याचिका में कहीं इसका जिक्र नहीं है कि ये तीन याचिकाकर्ता अपनी गिरफ्तारी की आशंका जता रहे हैं और इस आधार पर आवेदन विचारणीय नहीं है तथा खारिज किए जाने योग्य है।

राहत देने के लिए कोई मजबूत मामला नहीं बनाया गया

अदालत ने कहा कि एमवीए के सांसदों और विधायकों के संबंध में उनकी (सांसदों-विधायकों) ओर से अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करने को लेकर इन तीन याचिकाकर्ताओं को नियुक्त करने के लिए उनके द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव जैसा कुछ नहीं है। आदेश में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतरिम या अंतिम राहत देने के लिए प्रथम दृष्टया कोई मजबूत मामला नहीं बनाया गया। जस्टिस देशपांडे ने कहा, 'याचिकाकर्ता अपनी गिरफ्तारी की आशंका नहीं जता रहे। वे तीसरे पक्ष को अंतरिम राहत के लिए आग्रह कर रहे हैं। इस तरह के आदेश को पारित करने से एक गलत परंपरा स्थापित होगी। याचिका विचार योग्य नहीं है।'

इस तरह के आरोप और आधार बनाना निराधार है

अदालत ने कहा कि इसी तरह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए जारी समन प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली द्वारा जारी किया गया और यह पीएमएलए विशेष न्यायालय, दिल्ली के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में है। न्यायाधीश ने कहा, 'इसलिए, ज्यादा बहस की आवश्यकता नहीं है। यहां इस तरह के आरोप और आधार बनाना निराधार है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।'

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