श्रीनगर में लश्कर आतंकियों ने किया टारगेट अटैक - मानवी मीडिया

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Saturday, May 7, 2022

श्रीनगर में लश्कर आतंकियों ने किया टारगेट अटैक


श्रीनगर (मानवी मीडिया बाहरी इलाके में एक आतंकी हमले में पुलिस सिपाही को गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया. लश्कर की शाखा टीआरएफ ने सोशल मीडिया पर इस हमले की जिम्मेदारी ली है. लोगों का कहना है कि इससे आजादी नहीं मिलेगी. एक महीने की खामोशी के बाद एक बार फिर संदिग्ध आतंकवादियों ने सुबह तड़के श्रीनगर (Srinagar) के बाहरी इलाके में टारगेट हमले को अंजाम दिया. श्रीनगर में डॉ अली जान रोड पर ऐवा ब्रिज के पास संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के एक पुलिसकर्मी पर गोलीबारी की गई, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गया.

पुलिसकर्मी को मारी गोली

एक चश्मदीद ने बताया कि सुबह करीब 9 बजे यह पुलिसकर्मी अपनी मोटरसाइकिल पर जा रहा था. एक दूसरी मोटरसाइकिल पर दो युवक आए और इससे कुछ पता पूछने लगे. इससे पहले कि यह कुछ कहता बाइक के पीछे बैठे व्यक्ति ने पुलिसकर्मी  को गोली मार दी और हमलावर मौके से फरार हो गए. पुलिसकर्मी मोटरसाइकिल से गिर गया और काफी देर तक खून से लथपथ रहा क्योंकि सुबह का इलाका लगभग सुनसान रहता है. पास में टेंट में रहने वाले लोगों ने पुलिस को सूचना दी और पुलिसकर्मी को अस्पताल  ले जाया गया. उन्हें दो गोलियां लगी हैं, एक सिर में और एक हाथ में. उन्हें तुरंत पास के एसकेआईएमएस अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

बाइक पर जा रहे थे दफ्तर

पुलिस ने पुलिसकर्मी की पहचान गुलाम हसन डार पुत्र गुलाम रसूल डार  के रूप में की है जो दानवर ईदगाह के रहने वाले हैं. वह हेड कॉन्स्टेबल रैंक के हैं. पुलिसकर्मी श्रीनगर पुलिस कंट्रोल रूम में 112 पुलिस सेवा में चालक के पद पर तैनात हैं. जब उन पर हमला किया गया तो वह अपनी बाइक पर दफ्तर जा रहे थे. जल्द ही इलाके की घेराबंदी कर दी गई और तलाशी शुरू कर दी गई. लेकिन लगता है कि हमलावर भागने में सफल रहे हैं. कश्मीर जोन पुलिस ने ट्वीट (Tweet) किया, '#आतंकवादियों ने श्रीनगर के अली जान रोड जूनीमार इलाके के पास निहत्थे पुलिसकर्मी हेड कॉन्स्टेबल गुलाम हसन पर गोलियां चलाईं, जिससे अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए. घायल को अस्पताल ले जाया गया. इलाके की घेराबंदी की गई, तलाशी अभियान जारी है.'

परिवार वाले मौके पर पहुंचे

सूचना मिलते ही इलाके में पुलिसकर्मी के परिवार वाले और पड़ोसी मौके पर पहुंचे, जहां बाइक सड़क किनारे पड़ी थी. पुलिसकर्मी गुलाम हसन जिनकी एक बेटी और एक बेटा है. उसकी पत्नी और भाई सभी गहरे सदमे में थे, वे समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्यों हुआ क्योंकि सिर्फ 15 मिनट पहले वे सभी एक साथ थे. गुलाम मोहम्मद डार (भाई सियाद) वह सुबह नौकरी (Job) के लिए निकला था. फिर हमें फोन आया कि उसे गोली मार दी गई. हम अस्पताल गए, उसकी हालत गंभीर है. उसने अभी नया घर बनवाया है, कर्ज लिया है और एक भी किस्त नहीं चुकाई है. यह गलत है. वो सब इंसान हैं चाहे किसी भी धर्म के हों. हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें सही राह दिखाएं. परिजनों ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह उन्हें आजादी  नहीं मिलेगी, ऐसा नहीं होना चाहिए.

'ऐसे नहीं मिलेगी आजादी'

अली मोहम्मद डार  ने कहा कि लोगों की हत्या करना बहुत गलत है. ऐसे आजादी नहीं आएगी. वह पुलिस में काम करता है क्योंकि बेरोजगारी है. वह 2002 से काम कर रहा है और उसने कभी हाथ में बंदूक नहीं ली है. वह ड्राइवर है. अगर उन्हें मारकर आजादी मिलती है तो हमारे पास इस निर्वाचन क्षेत्र में हजारों पुलिसकर्मी हैं. अगर उन्हें मारकर उन्हें आजादी मिलेगी तो उन्हें मार डाले लेकिन उन्हें पहले चेतावनी देनी चाहिए. हम इसकी निंदा करते हैं. इस घटना ने उनके परिवार को प्रभावित किया है जिन्हें अब कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. सुरक्षाबलों के लिए टारगेट किलिंग एक बड़ी चीनौती बन गई है क्योंकि पुलिस का कहना है कि यह हाइब्रिड आतंकवादी द्वारा किया जाता है जो आतंकवादी सूची में नहीं होते हैं. वे आतंकी अपराध करते हैं और फिर से अपने सामान्य नियमित काम पर चले जाते हैं. 

आतंकवाद विरोधी अभियान जारी

हालांकि कई आतंकवाद विरोधी अभियान  चलाए जा रहे हैं. लगभग 175 आतंकवादी सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है. 31 आतंकी भी गिरफ्तार किए गए, जिनमें से अधिकांश हाइब्रिड आतंकी हैं. साथ ही इस वर्ष अब तक 65 आतंकवादी भी मारे गए हैं. लेकिन फिर भी टारगेट हत्याओं पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो रहा है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी को सुरक्षा देना संभव नहीं है और ऐसी घटना कब और कहां होगी, कोई नहीं जानता. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने में नागरिक, समाज और लोगों को सहयोग करना चाहिए. इस बीच हमले की जिम्मेदारी लेते हुए लश्कर का ऑफशूट टीआरएफ का एक नोट सोशल मीडिया पर वायरल  हो गया है. नोट को व्यक्तिगत रूप से प्रमाणित नहीं किया जा सकता है. उस नोट में टीआरएफ ने कहा है कि यह पुलिसकर्मी पुलिस का मुखबिर था, इसमें ये भी लिखा है कि भविष्य में इस तरह के हमले और किए जाएंगे.

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