लखनऊ (मानवी मीडिया) विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के बाद औचित्य के प्रश्न पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य ओमप्रकाश सिंह और लालजी वर्मा ने विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन का मुद्दा उठाया जिस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार फिलहाल विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर चुनाव नहीं कराएगी।ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि मैं चाहता हूं कि उपवेशन चल रहा है और उपाध्यक्ष का पद खाली है तो सरकार उपाध्यक्ष के निर्वाचन पर गंभीरता से विचार करे।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष जी, सदन चलाने में सक्षम हैं, सदन ठीक ढंग से चल रहा है और अधिष्ठाता मंडल की व्यवस्था बहुत माकूल है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष जी के अलावा जितने भी अधिष्ठाता पीठ पर बैठे, उन सभी ने भी सदन ठीक ढंग से चलाया। खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष जी खुद 16-17 घंटे काम करने में सक्षम हैं। जब इसकी (चुनाव की) आवश्यकता होगी तब विचार कर लेंगे।
संसदीय कार्य मंत्री के इस वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विपक्षी सदस्यों की सूचना अग्राह्य (अस्वीकृत) कर दी। इसके पहले लालजी वर्मा ने कहा कि पिछली सरकार (2017-2022) में चार साल तक चुनाव नहीं हुआ और आखिरी समय में उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की पिछली भाजपा सरकार के दौरान अक्टूबर 2021 में विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था और समाजवादी पार्टी के उस समय के बागी विधायक नितिन अग्रवाल भारी बहुमत से निर्वाचित हुये थे। अग्रवाल को 304 मत और सपा उम्मीदवार नरेंद्र वर्मा को 60 मत मिले थे। अग्रवाल 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते और अब वह प्रदेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री हैं।