लखीमपुर कांड के आरोपी आशीष मिश्रा का सरेंडर - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Sunday, April 24, 2022

लखीमपुर कांड के आरोपी आशीष मिश्रा का सरेंडर


लखीमपुर खीरी
(मानवी मीडिया
पिछले साल अक्टूबर में हुई लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 128 दिन तक जेल में रहने के बाद 15 फरवरी को आशीष मिश्रा को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। तब से वह जेल से बाहर चल रहे थे। 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज करके उन्हें एक सप्ताह के अंदर सरेंडर होने का आदेश दिया था। रविवार की दोपहर भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में आशीष मिश्र ने मजिस्ट्रेट के सामने खुद को सरेंडर कर दिया।

बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा को जमानत दी गई थी। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ ने मामले को हाईकोर्ट वापस भेज दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जमानत अर्जी में हाईकोर्ट ने अप्रासंगिक बातों पर विचार किया और पीड़ितों को सुनवाई का अधिकार नहीं दिया। पीड़ितों की सुनवाई से इनकार करना और हाईकोर्ट द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी जमानत आदेश को रद्द करने के योग्य है। इस आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

तिकुनिया में चार किसानों समेत आठ की हुई थी मौत 

तीन अक्तूबर को हुए तिकुनिया कांड में चार किसान, एक पत्रकार, एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ता मारे गए थे। चार किसानों समेत एक पत्रकार की मौत में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के पुत्र आशीष मिश्र उर्फ मोनू समेत 14 आरोपियों के खिलाफ एसआईटी आरोपपत्र दाखिल हुई थी। इसकी सुनवाई जिला जज की कोर्ट में चल रही थी। इस मामले आशीष मिश्र 10 अक्तूबर से जिला जेल में बंद थे। 

128 दिनों के बाद जेल से बाहर आया था आशीष

लखीमपुर के तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा 15 फरवरी को जेल से बाहर आया था। हाईकोर्ट से जमानत के बाद जिला जज की अदालत से उसकी रिहाई का आदेश जेल पहुंचते ही आशीष को रिहा कर दिया गया था। आशीष 128 दिन बाद जेल से बाहर आया था। आशीष को मुख्य गेट की जगह पीछे के दरवाजे से बाहर निकाला गया था। जिला जज मुकेश मिश्रा ने दो जमानतदारों और उनके द्वारा जमानत में लगाई गई सम्पत्ति का सत्यापन कराने के लिये संबंधित थानाध्यक्ष और तहसीलदार को आदेश दिया था।

Post Top Ad