मूडीज ने भारत के वित्तीय साख परिदृश्य को नकारात्मक से स्थिर श्रेणी में रखा, रेटिंग वर्तमान स्तर पर बरकरार - मानवी मीडिया

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Wednesday, October 6, 2021

मूडीज ने भारत के वित्तीय साख परिदृश्य को नकारात्मक से स्थिर श्रेणी में रखा, रेटिंग वर्तमान स्तर पर बरकरार


नयी दिल्ली (मानवी मीडिया): मूूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने भारत में आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के बीच देश की वित्तीय साख के परिदृश्य के बारे में अपने दृष्टिकोण में सुधार किया है और इसे ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ कोटि में रखा है। पर इस रेटिंग एजेंसी ने विदेशी और घरेलू मुद्रा में ऋणों के लिए देश की रेटिंग को निवेश श्रेणी के अपने सबसे निचले स्तर पर बनाए रखा है। मूडीज के अलावा एक और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंर्ड एंड पूअर्स ने भी भारत के साख परिदृश्य को स्थिर श्रेणी में रखा है। पर तीसरी एजेंसी फिच के आकलन में भारत की वित्तीय साख का परिदृश्य ‘नकारात्मक’ है।

मूडीज ने अपने इस ताजा आकलन के बारे में मंगलवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि गति पकड़ रही और इसका विस्तार हो रहा है और वास्तविक अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र के बीच की परिस्थितियों के संबंधों के बारे में नकारात्मक सूचनाओं से जुड़े जोखिम कम हो रहे हैं।

मूडीज ने कहा कि भारत में, “ आर्थिक दशा में सुधार हो रहा है। तमाम क्षेत्रों में गतिविधियां तेज हो रही और उनका विस्तार हो रहा है।”

मूडीज ने अपने आकलन में कहा है कि प्रणाली में पूंजी और नकदी की स्थिति सुधरने से बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की और से सरकार के समक्ष जोखिम उसके पहले के अनुमानों की तुलना में कम हुआ है।

एजेंसी का अनुमान है कि आर्थिक गतिविधियां सुधरने से सरकार के रोजकोषीय घाटे में अगले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे कमी आएगी और सरकार की वित्तीय साख के परिदृश्य में आगे और कमजोरी थमेगी।

मूडीज ने अपनी भाषा में भारत की वित्तीय साख को बीएए3 श्रेणी में बनाए रखा है। यह उसकी निवेश श्रेणी की रेटिंग का सबसे निचला स्तर है। उसका कहना है कि भारत की विशाल और विविधीकृत अर्थव्यवस्था, विदेशी कारोबार में तुलनात्मक दृष्टि से मजबूत, घरेलू स्तर पर वित्तीय सुविधाओं का मजबूत आधार देश की वित्तीय साख को बल देने वाला है लेकिन देश की प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर, सरकार पर कर्ज का ऊंचा बोझ, कर्ज सहन करने की शक्ति का कम होना और सरकार की प्रभावशीलता का सीमित होना-ये बातें देश की वित्तीय साख के लिए चुनौती पैदा करती हैं।

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