आतंकवाद से जूझने का जज्बा - मानवी मीडिया

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Monday, September 13, 2021

आतंकवाद से जूझने का जज्बा


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया से खतरों को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। उनसे जूझने का जज्बा हमें स्वयं में विकसित करना होगा। वह अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और उससे उत्पन्न हालात पर स्वयंसेवकों व प्रबुद्धजन की जिज्ञासा का जवाब दे रहे थे। धनबाद के राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के सभागार में उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक राजा था। वह जंगल में शिकार करने गया तो पैर में कांटा चुभ गया। राजा कुपित हुआ और राज्य से सभी कांटे समाप्त करने का निर्देश दिया। पूरे राज्य में धड़ाधड़ कांटों की झाडिय़ां काटी जाने लगीं, लेकिन कांटों का पनपना जारी रहा। अगले वर्ष भी राजा शिकार पर निकले तो पैर में फिर कांटे चुभे। तब राजा को एक सहायक ने बताया कि कांटेे कभी खत्म नहीं होंगे। सहायक ने राजा को एक जोड़ी जूते दिए, जिसे पहनने के बाद राजा कांटों से सुरक्षित हो गए। इशारों में ही संघ प्रमुख ने समाज को तालिबान जैसे कांटों से जूझने का सामथ्र्य हासिल करने का संदेश दिया। भारत हिन्दू राष्ट्र, यहां रहने वाले सभी हिन्दू: स्वयंसेवकों और विभाग व प्रांत के अधिकारियों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र है। यहां रहने वाले सभी हिन्दू हैं। यहां के मुसलमान अरब से नहीं आए, बल्कि यहीं के रहने वाले हैं। उनके पूर्वज भी हिन्दू ही थे। हम सबका डीएनए एक है। वे संघ कार्य में जुडऩा चाहें तो जरूर जुड़ें। शाखा आएं और हमारे कार्यों को जानें। भारत के सभी लोगों का संस्कार एक है। पूजा पद्धति भले अलग हो। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दरवाजे खुले हैं। अधिक से अधिक महिलाएं संघ कार्य से जुड़ें, ऐसी हमारी अपेक्षा है। नीति बनाने से ज्यादा अहम है उसका अनुपालन कराना। जो भी सुविधाएं हमें प्राप्त हो रही हैं हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक को वह मिले।

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी पुस्तक 'ह्यूमन राइटस एंड टेरेरिज्म इन इंडियाÓ में लिखा है कि 1999 में अफगानिस्तान के कंधार में अगवा कर लिये गये इंडियन एयरलाइंस के यात्रियों के बदले में दुर्दांत आतंकवादियों की रिहाई भारत के आधुनिक इतिहास में आतंकवादियों के सामने 'सबसे बुरा आत्मसमर्पणÓ रहा है। पुस्तक में कहा गया है, जो राष्ट्र विखंडित हो गए, उनके विपरीत जो एकजुट रहे हैं, उनके अध्ययन से ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय एकता का मूलभूत तत्व 'हम कौन हैंÓ की हमारी पहचान की अवधारणा है, जिसे एक निश्चित भौगोलिक-राजनीतिक सीमा के अंदर के लोग स्वीकार करें। इस अवधारणा को हालांकि पोषित, नवीकृत, निरंतर समृद्ध और आधारित किया जाना है। राज्यसभा सदस्य स्वामी दावा करते हैं कि आतंकवादियों का राजनीतिक लक्ष्य हिन्दू सभ्यता को नष्ट करने के लिए हिन्दुओं की हिम्मत तोडऩा और भारत की हिन्दू बुनियाद को कमजोर करना है और सरकार को कभी भी उनकी किसी मांग के आगे घुटने नहीं टेकने चाहिए। यह लिखते हैं, 1999 में अफगानिस्तान के कंधार में अगवा कर लिए गए इंडियन एअरलाइंस के यात्रियों के बदले में जैश ए मोहम्मद के मोहम्मद अजहर समेत तीन दुर्दांत आतंकवादियों की रिहाई आतंकवादियों के सामने विनाशकारी आत्मसमर्पण का उदाहरण है। स्वामी के अनुसार भारत आज पाकिस्तान, तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान, आइएसआइएस और अन्य धर्म आधारित आतंकवादियों और चीन समर्थित पूर्वोत्तर के उग्रवादियों से घिरा है और हमें अब इनका टुकड़ों-टुकड़ों में या तात्कालिक आधार पर नहीं बल्कि प्रभावी पूर्ण समाधान करने की जरूरत है। वह कहते हैं, इससे पहले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विध्वंसकारी शक्तियों के ऐसे विकट समूह ने कभी भारत की भौगोलिक अखंडता पर ऐसा खतरा पैदा नहीं किया और हिंसा के जरिए भारत की शांतिप्रिय जनता को आतंकित नहीं किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी दोनों ने आतंकवाद को लेकर जो कुछ कहा, उसे भारत सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। हिन्दू समुदाय को कम•ाोर करने के उद्देश्य से शताब्दियों से हिन्दू सभ्यता व संस्कृति को निशाना बनाने का काम चला आ रहा है। इस सिलसिले को अगर हिन्दू समाज को रोकना है तो हिन्दू समाज को आतंकवाद से जूझने का जज्बा पैदा करना होगा। हिन्दू समाज को एकजुट होकर आतंकवाद का विरोध करने की आवश्यकता है। समाज और सरकार आतंक का विरोध करने में जब मिलकर अपनी ताकत झोंकेंगे तब आतंकवादियों पर नकेल पाने में सफलता प्राप्त होगी।
देश की सीमाओं के साथ लगते देशों जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में आतंकवादियों को संरक्षण व समर्थन देेने वाले करोड़ों लोग बैठे हैं। इन सबका साथ दे रहा है चीन। इसलिए भारत को तो आतंकियों प्रति हमेशा सतर्क ही रहना पड़ेगा क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों से समझा जा सकता है कि भारत के लिए आतंकवादी हमेशा एक बड़ा खतरा ही रहेंगे। आतंकियों से लडऩे का जज्बा होगा तभी तो बात बनेगी।  


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