कुमार ने कहा कि इस ऐप को कोई भी यात्री अपने मोबाइल पर लोड कर सकता है। गाड़ियों में चलने वाले रेलवे स्टाफ और आरपीएफ एवं जीआरपी के कर्मियों के पास भी यह मोबाइल ऐप होगा। ट्रेनों में महिला यात्रियों की सुरक्षा के उपायों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड काल में आरपीएफ ने करीब 6000 महिला कॉन्स्टेबुलों की भर्ती की जिससे आरपीएफ में महिला कर्मियों का अनुपात नौ प्रतिशत हो गया है। किसी केन्द्रीय पुलिस बल में महिलाओं की सर्वाधिक संख्या है। उन्होंने कहा कि इससे आरपीएफ के मेरी सहेली प्रोजेक्ट को बल मिला है जिसमें अकेले यात्रा करने वाली महिला यात्रियों की आरक्षण चार्ट से पहचान करके ट्रेन में तैनात महिला कॉन्स्टेबुल उनसे सीट पर जा कर संपर्क करती है और उन्हें अपना नंबर दे कर सुरक्षा का आश्वासन देती है।
कुमार ने कहा कि आरपीएफ ने रेलवे परिसरों में सुरक्षा को चाक चौबंद करने के लिए व्यापक योजनाएं बनाईं हैं। इस समय तक 6094 स्टेशनों पर सीसीटीवी लगाये जा चुके हैं और वे पूरी तरह से डिजीटल निगरानी के दायरे में आ गये हैं। सीसीटीवी कैमरों की सतत निगरानी के लिए मंडल स्तर पर कंट्रोल रूम बनाये जाने की योजना है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि निजी ट्रेनों में भी सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ एवं जीआरपी संभालेगी। निजी ट्रेनों में निजी सुरक्षा कर्मी की एक तीसरी पर्त भी होगी जो यात्रियों को नजदीकी सुरक्षा मुहैया करायेगी लेकिन अपराध होने पर जीआरपी और आरपीएफ की भूमिका होगी।
उन्होंने
कहा कि बड़े स्टेशनों पर एयरपोर्ट जैसी योजना बना कर सुरक्षा सुनिश्चित
करने की रूपरेखा तैयार की गयी है। आरपीएफ ने टिकटिंग में साइबर अपराधों पर
रोक लगाने के लिए साइबर सेल स्थापित कीं हैं। रेलवे स्टेशनों पर कुंभ जैसे
आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन के मामले में विश्व भर में अनूठे आयाम
स्थापित किये हैं। आरपीएफ कर्मियाें के कोविड प्रभावित होने के बारे में
पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में 3298 जवान इस रोग से संक्रमित
हुए जिनमें से 22 लोगों की मृत्यु हुई। इस समय करीब 150 जवान अस्पताल में
भर्ती हैं। उन्होंने टीका लगवाने वाले जवानों में केवल 0.045 प्रतिशत लोग
ही बीमार पड़े।