नई दिल्ली (मानवी मीडिया) सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और आईसीएसई बोर्ड की 12वीं कक्षा की परीक्षा रद्द करने के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों केंद्रीय बोर्डों के मूल्यांकन फॉर्मूले को उचित करार देते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार और बोर्ड दोनों ही छात्रों को लेकर चिंतित हैं, इसलिए परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए वकील विकास सिंह ने कहा कि 'जो छात्र परीक्षा देना चाहते हैं, उनकी असेसमेंट करने से पहले ही उन्हें एग्ज़ाम देने का विकल्प दिया जाना चाहिए। उनकी असेसमेंट नहीं की जानी चाहिए।' इस पर जज ने कहा कि 'फिर उनके पास तो सिर्फ़ एक ही विकल्प बचेगा। ये स्टूडेंट्स के साथ अन्याय होगा।'
जज ने कहा कि 'CBSE ने कहा है कि अगस्त-सितम्बर में उन स्टूडेंट्स के एग्ज़ाम होंगे, जो देना चाहते हैं और अक्टूबर में नतीजे घोषित होंगे।' यहां विकास सिंह ने कहा कि 'लेकिन तब तक बहुत देरी हो चुकी होगी। छात्रों का एक साल ख़राब हो जाएगा।' सिंह ने कहा कि 'तब तक तीसरी लहर आ सकती है। अभी कम केस हैं, अभी एग्ज़ाम हो सकते हैं।' सुनवाई के दौरान AG ने कहा कि '31 जुलाई को CBSE के नतीजे घोषित होने के बाद UGC बाकी बोर्ड्स के नतीजे घोषित होने का इंतज़ार करेगा। उसके बाद ही एडमिशन का प्रोसेस शुरू होगा।'
आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी के कारण सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा को रद्द कर दिया था। बोर्ड ने परीक्षा परिणाम के संबंध में इन दोनों कक्षाओं के लिए वैकल्पिक मूल्यांकन नीति की घोषणा की है। स्कूलों से 10वीं कक्षा के अंक 30 जून तक जमा करने को कहा गया है, जबकि 12वीं कक्षा के लिये स्कूलों को 15 जुलाई की समयसीमा दी गई है।
सीबीएसई 10वीं कक्षा, 11वीं कक्षा और 12वीं कक्षा के परिणामों के आधार पर 12वीं कक्षा के छात्रों के अंक मूल्यांकन में क्रमश: 30:30:40 का फार्मूले पर कर रहा है। 30 फीसदी अंक 10वीं बोर्ड परीक्षा के आधार पर, अगले 30 फीसदी अंक 11वीं कक्षा के और 40 फीसदी अंक 12वीं कक्षा के यूनिट, मध्य टर्म और प्री-बोर्ड परीक्षाओं के आधार पर दिए जाएंगे।