नई दिल्ली (मानवी मीडिया): चीन-पाक से चल रहे विवाद के बीच भारतीय वायुसेना की ताकत में बढ़ोतरी होने वाली है। भारतीय वायुसेना 114 और लड़ाकू विमानों को खरीदने की योजना बना रहा है। बताया जा रहा है कि इस डील पर 1.3 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 50 हजार करोड़ रुपए में 83 तेजस विमान खरीदने को मंजूरी दी थी। इसके तहत खरीदे जाने वाले तेजस विमान मिग 21 फाइटर जेट की जगह लेंगे। अब एयरफोर्स का फोकस 114 विमान खरीदने पर है।
भारतीय वायुसेना ने निविदा के लिए सूचना का अनुरोध पहले ही जारी कर दिया है और जल्द ही इस परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय के सामने एसेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी (एओएन) प्रस्तुत करेगी। इसके तहत बड़ी संख्या में 4.5 पीढ़ी के विमानों को खरीदा जाएगा। जिसके तहत हाल ही में खरीदे गए राफेल विमानों की क्षमताओं से इनका मिलान हो सके। रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) का जवाब देते हुए अमेरिका, फ्रांस, रूस और स्वीडन के फाइटर जेट निर्माता कंपनियों ने भारत की मांग को पूरा करने में दिलचस्पी दिखाई है
अमेरिका की ओर से एफ -15 स्ट्राइक ईगल, एफ -18 सुपर हॉर्नेट और एफ -16 वेरिएंट को एफ -21 के नाम से पेश किए जा सकते हैं। जबकि रूस भारत को मिग -35 और सुखोई फाइटर जेट का विकल्प दे सकता है। वहीं, स्वीडन ग्रिपेन लड़ाकू विमान की पेशकश कर रहा है, यह 2007 में भारतीय वायुसेना को किए गए विमान की पेशकश से ज्यादा एडवांस है। वहीं, फ्रांस राफेल विमान के साथ डील करना चाहता है। हाल ही में वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने राफेल को खरीदने के भी संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था, भारत के 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट खरीद प्रोजेक्ट में राफेल भी अहम लड़ाकू विमान है।