पांच दशक बाद अयोध्या में लौटी दिवाली की रौनक  : संपादकीय   - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, November 11, 2020

पांच दशक बाद अयोध्या में लौटी दिवाली की रौनक  : संपादकीय  

आखिरकार वो दिन आ ही गया जिसकी प्रतीक्षा लम्बे समय से विश्व भर के हिन्दू और भगवान् श्रीराम के प्रति आस्था रखने वालों की थी। इस बार 492 वर्ष की लम्बी प्रतीक्षा के उपरांत प्रथम बार अयोध्या नगरी में दिव्य दिवाली का आयोजन राम जन्मभूमि परिसर में होगा। इससे पहले बहुत ही सीमित दायरे में दिवाली मनाई जाती थी और केवल पुजारी ही दीया जला पाते थे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। बीते अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया था। मंदिर लगभग सवा तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा। यहां ये बताना सर्वथा उचित होगा कि प्रभु श्रीराम की स्मृति में अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का अस्तित्व हुआ करता था। 21 मार्च, 1528 को हमलावर बाबर के सेनापति मीर बाकी ने तोप से यहां मौजूद राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया। उसके बाद से लेकर अभी तक मंदिर के लिए 76 युद्ध लड़े जा चुके हैं जिनमें बताया जाता है कि सात लाख से अधिक लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। किसी आस्था स्थल के लिए पूरी दुनिया में इतना लंबा व रक्तरंजित संघर्ष कहा जा सकता है अयोध्या प्रकरण को। वर्ष 1992 में जब जन्मभूमि के स्थान पर बना विवादित ढांचा ध्वस्त हुआ, तो उसे पुन: प्राप्त करने हेतु एक लंबी, न्यायिक लड़ाई चली, और अंत में 9 नवंबर 2019 के ऐतिहासिक दिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से श्री रामजन्मभूमि परिसर को श्रद्धापूर्वक उनके भक्तों का प्रतिनिधित्व कर रहे श्री रामजन्मभूमि न्यास को सौंप दिया, और साथ ही मुसलमानों के लिए एक वैकल्पिक स्थान पर मस्जिद के निर्माण की भी व्यवस्था कराई। श्रीराम मंदिर आंदोलन कोई साधारण संघर्ष नहीं, बल्कि जीवंत इतिहास है हिंदू समाज की जिजीविषा अर्थात् जीवन के प्रति ललक व कला और विजीगिषा अर्थात् जीत के लिए तड़प और संघर्ष की कला का।इसमें कोई दो राय नहीं है कि अयोध्या का राम मंदिर सनातन चेतना की स्वतंत्रता का प्रतीक है। जैसा कि पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. डेविड फ्राउली कहते हैं, '5 अगस्त 2020 को राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की नींव 1947 के बाद भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है। यह भारतीय सभ्यता, संस्कृति और आध्यात्मिकता की स्वतंत्रता का प्रतीक है।Ó एक लेख में विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने लिखा है, 'अयोध्या में बनने जा रहा मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं होगा, बल्कि यह भारत में रामत्व यानी स्वाभिमान, समरसता, समृद्धि, सुख, शांति और सौहार्द की स्थापना करेगा। यह विशाल मंदिर भारत के विराट स्वरुप का दर्शन भी कराएगा।Ó स्पष्ट है कि अयोध्या का राम मंदिर हिंदुओं के 500 साल के संघर्ष की केवल तार्किक परिणति भर भी नहीं है। यह उस खतरे से मुक्ति का मार्ग है, जिसका जिक्र नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से बरसों पहले किया था।  रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने उद्बोधन में कहा था, 'राममंदिर के निर्माण की यह प्रक्रिया राष्ट्र को जोडने का उपक्रम है। यह विश्वास को विद्यमान से जोडऩे का, नर को नारायण से जोडऩे का, लोक को आस्था से जोडऩे का, वर्तमान को अतीत से जोडऩे का और स्वयं को संस्कार से जोडऩे का महोत्सव है। श्रीराम का संदेश है अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। यह भी श्रीराम की नीति है भय बिन होय न प्रीति। देश जितना ताकतवर होगा उतनी ही शांति ही बनी रहेगी। राम की यही नीति यही रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है। राम हमें समय के साथ बढऩा सिखाते हैं, समय के साथ चलना सिखाते हैं। कोई भी दुखी ना हो, कोई भी गरीब ना हो, नर नारी सभी समान रूप से सुखी हों। जो शरण में आए उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। महात्मा गांधी ने इन्हीं मंत्रों के आलोक में रामराज्य का सपना देखा था। राम का जीवन उनका चरित्र ही गांधी जी के राम राज्य का रास्ता है। राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते और सोचते हैं। राम परिवर्तन-आधुनिकता के पक्षधर हैं। वास्तव में राम प्रजा को हर तरह से सुखी रखना राजा का परम कर्तव्य मानते थे। उनकी धारणा थी कि जिस राजा के शासन में प्रजा दुखी रहती है, वह अवश्य ही नरक का अधिकारी होता है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में रामराज्य की विशद चर्चा की है। राम अद्वितीय महापुरुष थे। वे अतुल्य बलशाली तथा उच्च शील के व्यक्ति थे। माना जाता है कि अयोध्या में ग्यारह हजार वर्षों तक उनका दिव्य शासन रहा।  कहते हैं कि कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासियों ने श्रीराम के लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशियां मनायी थीं। संपूर्ण शहर का रंग-रोगन कर उसे दीपकों से सजाया गया था। सभी पुरुष, बच्चे और महिलाएं नए वस्त्रों में सजे-धजे थे। मिठाइयां बाटी जा रही थीं और उत्सव मनाया गया। उस दौर में पटाखे नहीं होते थे तो पटाखे नहीं छोड़े गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथा ने दीपावली के अवसर पर अयोध्या में एक बार फिर भव्य दीपोत्सव की तैयारी करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये हैं।  हिन्दुओं के सबसे बड़े त्योहार दीवाली  के मौके पर रामलला के अस्थायी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होगी। बहुत सी ऐसे घटनाएं हुई, जिससे प्रभु श्रीराम रामलला को 28 वर्षों तक तिरपाल में रहना पड़ा। इस बार त्रेता युग में अयोध्या में जैसे दीपावली मनाई गई, उसकी झलक दिखाई देगी। इस बार भी राम की पैड़ी में नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है और इसके लिए पूरे अयोध्या में 5 लाख 51 हजार दीये जलाए जाएंगे। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 13 नवंबर को अयोध्या में मौजूद रहेंगे। दीपोत्सव के मौके पर अयोध्या में पहली बार डिजिटल आतिशबाजी होगी। अयोध्या में भक्तों के दीप जलाने के इंतजाम होंगे। इस बार लेजर शो के माध्यम से सरयू तट पर आतिशबाजी होगी। वर्चुअल दीपोत्सव के लिए जल्द ही नई वेबसाइट लॉन्च होगी। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दीपोत्सव में वर्चुअली सहभागिता कर रहे हैं। बीते साल दीपोत्सव में अयोध्या की प्रसिद्ध राम की पैड़ी पर 4.5 लाख दीप जलाए गए थे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे। वर्ष 2017 में योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद दीपावली के अवसर पर भव्य आयोजन कर देश को भाईचारे, शांति और विकास का प्रचण्ड संदेश संप्रेषित किया था। लगभग पांच दशक के लंबे संघर्ष, मुकदमेबाजी, अदालती कार्रवाई, पुलिस के भारी बंदोबस्त और सरकारी अधिकारियों की आवाजाही और वातावरण में व्याप्त एक अजीब से तनाव से अयोध्या अब मुक्त हो चुकी है। वर्तमान में अयोध्या में वैसा ही मंगल वातावरण सहज अनुभव किया जा सकता है, जैसा मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम राम की वनवास से लौटने पर अयोध्या में रहा होगा। इस बार दीपावली रामलला परिसर में मनाई जाएगी, यह अद्वितीय और अद्भुत दृश्य होगा। ये वो दृश्य है जिसकी प्रतीक्षा भगवान राम के अनुयायियों ने पांच सौ वर्ष की है। उम्मीद ही नहीं पूर्ण आशा और आस्था है कि श्रीराम मंदिर के परिसर में जगमगाते दीये विश्वभर में प्रेम, सौहाद्र्ध, भाईचारे, मंगल, सुख-शांति-समृद्धि और विकास का प्रकाश फैलाएंगे। 


Post Top Ad