जम्मू-कश्मीर में जमीन             संपादकीय           - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Sunday, November 1, 2020

जम्मू-कश्मीर में जमीन             संपादकीय          

अनुच्छेद 370 व 35ए की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार ने अब नोटिफिकेशन जारी करते हुए जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भारतवासियों को जमीन खरीदने का अधिकार दे दिया है। कृषि भूमि पर खरीद की रोक जारी रहेगी। 370 की समाप्ति से पहले जम्मू-कश्मीर में केवल प्रदेश वासी ही जमीन खरीद सकते थे। प्रदेश से बाहर के लोग कार्य करने के लिए पट्टे पर जमीन ले सकते थे। अब दूसरे राज्यों के लोग जमीन खरीद सकेंगे और उन्हें स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की आवश्यकता नहीं। केंद्र की मोदी सरकार का यह एक ऐतिहासिक फैसला है जो जम्मू-कश्मीर में विकास की राहें खोल देगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ और मजबूती से भी जोडऩे का काम करेगा क्योंकि इस कानून से अलगाववादियों का आधार कमजोर होगा और राष्ट्रवादियों को बल मिलेगा। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ प्रदेश में निवेश के लिए कई तरह के प्रस्ताव आये लेकिन पुरानी व्यवस्था के कारण उन पर कार्य नहीं हो पा रहा था। अब जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के सभी नियम और शर्तें लागू होंगी। इस प्रक्रिया को पूरी तरह से स्पष्ट बनाने के लिए राज्य से जुड़ी रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट-2016 (रेरा) की पॉलिसी जरूरी है। सरकार कह चुकी है कि प्रॉपर्टी से जुड़ा लेन-देन रेरा के दायरे में आता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के ताजा निर्देश में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में भू-स्वामित्व से जुड़े 26 में से 12 कानून रद्द हो गए हैं। नई व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। अब जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में वे सभी केंद्रीय कानून लागू होंगे, जो दूसरे राज्यों में लागू हैं।राज्य औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध निदेशक रविन्द्र कुमार के मुताबिक, देश-विदेश के 39 निवेशकों ने 13 हजार करोड़ के कुल 62 प्रस्ताव दिए हैं। ठ्ठ ज्यादातर निवेश प्रस्ताव आईटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी, हॉस्पिटेलिटी, टूरिज्म आदि क्षेत्रों से जुड़े हैं।    प्रस्ताव देने वालों में दुबई का लुलु समूह, श्री सीमेंट्स, सिंगापुर इलेक्ट्रिक्स और लुधियाना का ट्राइडेंट समूह भी शामिल है।फग्र्यूसन कॉलेज और एमिटी यूनिवर्सिटी भी केंद्र शासित प्रदेश में निवेश की इच्छुक है। सरकार द्वारा उद्योगों के लिए 57,000 एकड़ जमीन की पहचान की गई है। कश्मीर में 15000 एकड़ और जम्मू में 42,500 एकड़ जमीन चुनी है।नए भूमि कानूनों के बाद अब नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति आएगी। इससे कुल निवेश 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। निवेश को प्राथमिकता देने के लिए 14 क्षेत्रों की पहचान हुई है। इनमें बागवानी, क्रॉप मैनेजमेंट, फूड प्रोसेसिंग, हथकरघा, रेशम, हस्तशिल्प, फार्मा, औषधीय पौधे और शिक्षा आदि प्रमुख हैं। उपरोक्त के अलावा जम्मू-कश्मीर के धरातल स्तर पर जो परिवर्तन होंगे वह इस प्रकार हैं सेना के कोर कमाडर रैंक के अधिकारी के लिखित आग्रह पर अब जम्मू-कश्मीर सरकार किसी भी क्षेत्र को रणनीतिक क्षेत्र घोषित कर सकती है। विस्थापित और शरणार्थियों के लिए इवेक्यू (पाकिस्तान पलायन कर गए लोगों की संपत्ति) संपत्ति के अधिकार बहाल कर दिए गए हैं। इवेक्यू प्रापर्टी अधिनियम में सिर्फ 1947 के शरणार्थियों को ही उक्त जमीन, मकान या दुकान को किसी दूसरे के नाम पर स्थानांतरित करने या फिर उनका पूर्ण मालिकाना हक प्राप्त करने का अधिकार था। अब वर्ष 1965 और 1971 के शरणार्थियों को यह अधिकार प्राप्त होगा। राज्य के बाहर के व्यक्ति को पीढ़ी-दर-पीढ़ी खेती करने के बावजूद जमीन का मालिकाना अधिकार नहीं मिल सकता था। अब ऐसा नहीं रहेगा। सरकारी जमीन को कब्जाने पर तीन साल की कैद और पांच से 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। अब जम्मू कश्मीर में कोई भी किरायेदार उस संपत्ति पर अपने स्वामित्व का दावा नहीं ठोक पाएगा। जम्मू-कश्मीर संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 139 को समाप्त कर दिया गया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर का कोई भी नागरिक अपनी जमीन और मकान को किसी को भी संबंधित नियमों के तहत हस्तांतरित कर सकता है। स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सा क्षेत्र या उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार किसी व्यक्ति विशेष या संस्थान के पक्ष में जमीन के हस्तांतरण की अनुमति दे सकती है।सरकारी जमीन पर अब किसी भी तरह से कब्जाधारक को मालिकाना अधिकार नहीं मिलेगा। बल्कि राजस्व बोर्ड और मुख्य नियंत्रक उसे जमीन से बेदखल कर खुद जमीन का कब्जा ले सकेंगे और वह भी बिना नोटिस। जम्मू-कश्मीर में भूमि स्वामित्व अधिनियम संबंधी कानूनों में संशोधन से पूरे प्रदेश में विकास की दिशा ही बदल जाएगी। राज्य में डोमिसाइल की अनिवार्यता खत्म करने से दूसरे राज्यों के निवेशक बिना हिचक के छोटे से बड़े उद्योग खड़े कर सकेंगे। उद्योग ही नहीं, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन समेत अन्य क्षेत्रों में निवेशकों की कतार लगना तय है। जब वह खुद की जमीन पर उद्योग लगाएंगे तो निवेशकों में निश्चितता होगी। औद्योगिक क्षेत्र में जब धड़ल्ले से निवेश होगा तो जम्मू-कश्मीर के विकास में क्रांति तय है। यही नहीं अब निवेश बढ़ेगा तो स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। दूसरे राज्यों के लोग भी स्थायी रूप से यहां नौकरी और कामकाज करने के लिए लालायित होंगे।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 और 2020 में जम्मू-कश्मीर की दशा और दिशा बदलने के लिए जो कदम उठाए हैं उसके लिए उनकी जितनी भी सराहना की जाए वह कम है। दशकों तक सत्ता में रही कांग्रेस जो नहीं कर सकी वह मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने कर दिया। जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने जो कदम उठाए हैं उससे एक नये कश्मीर का आधार मजबूत होगा। वहीं भारतवासियों का धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में जमीन खरीद सकने व कार्य करने का सपना भी साकार होगा 


Post Top Ad