धर्मांतरण विरुद्ध कानून. संपादकीय - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Sunday, November 22, 2020

धर्मांतरण विरुद्ध कानून. संपादकीय


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मांग की है कि लड़की को धर्म के बारे में धोखे में रखकर तथा दबाव डालकर धर्म परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकारों को कानून बनाने चाहिए ताकि दबाव से या धोखे से हो रहे धर्मांतरण पर अंकुश लग सके। विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय सचिव अलोक कुमार ने कहा है कि जिस तरह उत्तर प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने 'लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने की घोषणा की है, ऐसी घोषणाएं अन्य राज्यों को भी करनी चाहिए। ऐसा कानून बनाना मात्र समय की मांग है। अलोक कुमार अनुसार विश्व हिन्दू परिषद के सामने ऐसे कई मामले आए हैं कि मुस्लिम लड़का हिन्दू नाम रखकर लड़की से संपर्क साधता है और लड़की को असलियत शादी के बाद ही पता चलती है।
विश्व हिन्दू परिषद ने मांग की है कि अंर्तधार्मिक विवाहों के मामले में सभी शादियां रजिस्टर्ड होनी चाहिए, दोनों परिवारों को एक-एक महीने का नोटिस दिया जाना चाहिए। अगर शादी के बाद कोई शिकायत होती है तो उसकी कार्रवाई 30 दिन में पूरी होनी चाहिए। अंतर धार्मिक शादियां कोई नई बात नहीं है, लेकिन जिस तरह एक योजना के तहत हिन्दू लड़कियों को धोखे में रखकर प्यार के नाम पर फंसाकर शादी बाद धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है वह समाज और देश दोनों के लिए घातक ही है। देश में जब जबरदस्ती करवाए गए धर्म परिवर्तन के विरुद्ध कानून बना हुआ तो फिर लड़की से अपना धर्म छिपाकर उससे विवाह करना और फिर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना भी एक अपराध ही है। इसके विरुद्ध भी एक सख्त कानून राष्ट्रीय स्तर पर बनना चाहिए।उपरोक्त मामलों की बढ़ती संख्या पर देश का सर्वोच्च न्यायालय भी अपनी चिंता समय-समय पर प्रकट कर चुका है। न्यायपालिका ने पहली पत्नी को तलाक दिये बगैर सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करके इस्लाम धर्म कबूल करने की घटनाओं के मद्देनजर महिलाओं के हितों की रक्षा और इस काम के लिए धर्म का दुरुपयोग रोकने के लिए 1995 में धर्मान्तरण कानून बनाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। केरल और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लव जिहाद का मुद्दा उठता रहता है। हाल ही में फरीदाबाद में एक लड़की की हत्या के मामले को भी लव जिहाद से जोड़ा गया। 2017 का हादिया प्रकरण सबसे ज्यादा चर्चित हुआ था, जिसे लव जिहाद का नाम दिया गया था क्योंकि अखिला अशोकन नाम की युवती ने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम हादिया रखा और फिर एक मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। उच्च न्यायालय ने इस शादी को अमान्य घोषित कर दिया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हादिया और शफीन की शादी वैध है और किसी भी अदालत या जांच एजेंसी को उनकी शादी पर सवाल उठाने का हक नहीं है। ऐसी अनेक घटनायें सामने आयी हैं, जिसमें विवाह के बाद धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर लड़की को यातनाएं दी गयीं, उन्हें तलाक देकर बेसहारा छोड़ दिया गया या फिर ऐसे लड़कियां लापता हो गयीं और बाद में उनके शव मिले। ऐसे कई मामलों में लड़के और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामले भी दर्ज हुए हैं। इन घटनाओं को लेकर प्रश्न यह उठता है कि ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाये? देश के कुछ हिस्सों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में धर्म विशेष के युवकों द्वारा अपनी पहचान छिपाकर हिन्दू युवतियों को प्रभावित करके उनसे विवाह करने और उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर करने की बढ़ती घटनाओं को 'लव जिहादÓ का नाम देकर इस पर अंकुश पाने के लिए धर्मान्तरण निरोधक कानून बनाने की मांग बढ़ रही है। हमारे देश का कानून किसी भी वयस्क लड़के या लड़की को अपनी मर्जी और अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार प्रदान करता है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे धर्म में शादी के कुछ समय बाद अगर धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठता है जो वैवाहिक जीवन में बाधक बन रहा हो तो उस समस्या से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रकिया संहिता और घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण या विशेष विवाह कानून (इसके तहत विवाह का पंजीकरण होने की स्थिति में) के प्रावधानों के अलावा क्या कोई अलग से विशेष प्रावधान किया जायेगा। देखना है कि ये राज्य सरकारें इन प्रस्तावित कानूनों में पहचान छुपा कर दूसरे धर्म की महिला से मित्रता करके उससे शादी करने और फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने को अपराध घोषित करते हुए किस तरह की सज़ा का प्रावधान करती हैं। 
अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार व्यस्क लड़के और लड़की दोनों को संविधान ने दिया हुआ है, लेकिन समस्या यह है कि जब मुस्लिम लड़का अपनी पहचान छुपाकर हिन्दू लड़की को प्यार के जाल में फंसाकर शादी करने के बाद धर्मांतरण करने को कहता है, यह एक बड़ा अपराध है। केंद्र सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए इस अपराध को रोकने हेतु कानून बनाना चाहिए।
सरकार के साथ-साथ समाज विशेषतया धार्मिंक संगठनों को आगे आकर 'लव जिहाद विरुद्ध समाज व सरकार दोनों को जागृत करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाने की आवश्यकता है। इस  संबंध में पिछले दिनों बक्करवाला स्थित विश्व जागृति मिशन आनंद धाम आश्रम में हुई विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक में देशभर से तकरीबन 100 प्रमुख साधु-संत शामिल हुए। बैठक में अमरकंटक के हरिहरानंद सरस्वती ने इस संबंध में प्रस्ताव रखा, जिसका अनुमोदन अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती व जबलपुर के अखिलेश्वरानंद ने किया। देशभर के साधु-संतों की मौजूदगी में विहिप ने लव जिहाद व धर्मांतरण रोकने के लिए राज्यों द्वारा कठोर कानून बनाने की मांग दोहराई। अवधेशानंद गिरि ने कहा कि एक ऐसा कानून बनाया जाए, जिसमें धर्मांतरण के लिए कम से कम एक माह की अवधि निश्चित की जाए। इस एक माह में जांचा जाए कि धर्मांतरण धोखे, बलपूर्वक या लालच से तो नहीं है। उन्होंने निकिता तोमर व मुजफ्फरनगर में नृशंस हत्या का जिक्र करते लव जिहाद को आइएस व वहाबी विचारधारा की उस साजिश का हिस्सा बताया जिसके तहत विश्व के इस्लामीकरण की मंशा है। धर्मांतरण देश के वर्तमान व भविष्य दोनों के लिए एक बड़ा खतरा है। अगर धर्मांतरण को न रोका गया तो फिर भारत की संस्कृति व सभ्यता ही संकट में आ जाएगी, इसलिए धर्मांतरण को रोकने हेतु जल्द से जल्द कानून प्रदेशों और राष्ट्र स्तर पर लाने की तत्काल आवश्यकता है।

Post Top Ad