2020 की दीपावली। संपादकीय 2020 की दीपावली अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है। भारत का राष्ट्रीय त्यौहार होने के कारण इसकी देश-विदेश में एक अलग पहचान है। देश व दुनिया में मनाई जाने वाली दीपावली इस वर्ष रामभक्तों के लिए बहुत विशेष है, क्योंकि श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में 500 वर्ष बाद पहली बार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वर्चुअल दीपावली मनाने जा रही है और इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे। इस डिजिटल दीपावली के आयोजन पर अयोध्या में भक्तों के लिए दीप जलाने के विशेष इंतजाम होंगे। इस बार 13 नवम्बर को होने वाले वर्चुअल दीपोत्सव के लिए जल्द नई वेबसाइट लॉन्च होगी। दीपोत्सव में भाग लेने वालों को दीप जलाने के बाद प्रदेश सरकार की ओर से धन्यवाद पत्र मिलेगा। योगी सरकार बीते चार साल से अयोध्या में सरयू तट पर दीपोत्सव का आयोजन कर रही है। इस आयोजन में हर बार बड़ी संख्या में एक साथ एक स्थान पर दीप जलाने का विश्व रिकॉर्ड भी बनता रहा है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के अनुसार वर्चुअल दीपोत्सव वास्तविक जैसा ही अनुभव देगा। इस आयोजन के लिए शुरू किए जाने वाले पोर्टल पर रामलला विराजमान की तस्वीर होगी। जिसके सामने वर्चुअल दीप प्रज्ज्वलन होगा। पोर्टल पर सुविधा होगी कि श्रद्धालु अपने भावानुसार मिट्टी, तांबे, स्टील, अथवा किसी अन्य धातु के दीप-स्टैंड का चयन करें। घी, सरसों अथवा तिल के तेल का विकल्प भी उपलब्ध होगा, उन्होंने बताया कि श्रद्धालु अगर पुरुष है तो पुरुष अथवा महिला होने पर महिला के वर्चुअल हाथ दीप प्रज्ज्वलित करेंगे। दीप जलाने के बाद श्रद्धालु के विवरण के आधार पर रामलला की तस्वीर के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से धन्यवाद-पत्र भी जारी होगा। मुख्य समारोह से पूर्व यह वेबसाइट अमेजॉन के लिए लॉन्च कर दी जाएगी। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को अपील की थी कि इस दीपावली पर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर पर्व के साथ स्थानीय सामान खरीदें और उसकी चर्चा करंे तो स्थानीय उत्पाद बनाने वालों की दीपावली और रोशन हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को यह एक ऐसा मूल मंत्र दिया है, अगर भारतवासी इस मूलमंत्र को अपना लें तो भारत के करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा तथा देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। किसी के जीवन में रोशनी आ जाए इससे बड़ी दीपावली की खुशी और क्या होगी। स्वदेशी के साथ ही स्वाभिमान जुड़ा हुआ है। स्वदेशी को अपनाने से ही हमारे जीवन में सही अर्थों में रोशनी आएगी और घरों में घी के दिए जलेंगे। कोरोना महामारी को सारा विश्व झेल रहा है। भारत सरकार ने सही समय पर उचित निर्णय लेकर करोड़ों भारतवासियों की जान बचाकर उनके घरों के दीपों को बुझने नहीं दिया पर लाखों ऐसे अभागे भी हैं जिनके घरों के चिराग कोरोना महामारी के कारण बुझ गए हैं। कोरोना महामारी पर काबू पाने में तो भारत सरकार सफल रही है लेकिन कोरोना महामारी की दवा अभी तक नहीं बनी। इस कारण दीपावली सहित हमारे अन्य पर्वों पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस बात को देखते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय की पीठ जिसके सदस्य न्यायाधीश चन्द्रचूड और न्यायाधीश इन्दिरा बनर्जी ने एक याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि 'वैश्विक महामारी के बीच जिन्दगी खुद इस समय संकट में है। पीठ ने कहा कि हम सभी इस हालात में जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं और हम सभी के घरों में बुजुर्ग हैं। हम एक ऐसी स्थिति में हैं, जहां जिंदगी की रक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है और हाईकोर्ट जानता है कि जमीनी स्तर पर क्या जरूरी है।Ó पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला वरिष्ठ नागरिकों के हित में है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय का उपरोक्त आदेश बंगाल में काली पूजा के दौरान पटाखों की बिक्री और जलाने पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई रोक के विरुद्ध की गई अपील के दौरान आया। दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। पंजाब, हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण हवा प्रदूषित होती चली जा रही है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोई भी ऐसा काम न करें जिस कारण प्रदूषण बढ़े। पटाखों के चलने से प्रदूषण बढ़ता है, पटाखे न चलाएं तो यह सबके हित में होगा। निरोगी काया की कामना ही हम सब करते हैं, लेकिन यह तभी संभव होगा जब हवा व पानी स्वच्छ होगा। इस दीपावली यह संकल्प लें कि ऐसा कोई कर्म नहीं करेंगे जिससे प्रदूषण बढ़े। भगवान राम ने मातृभूमि को स्वर्ग से बढ़कर कहा है। हमें भी अपनी मां-भूमि के प्रति अपने कत्र्तव्यों को निभाने का संकल्प इस दीपावली पर लेना चाहिए। यही आज समय की मांग है। दीपावली की शुभकामनाओं सहित - मानवी मीडिया

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Friday, November 13, 2020

2020 की दीपावली। संपादकीय 2020 की दीपावली अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है। भारत का राष्ट्रीय त्यौहार होने के कारण इसकी देश-विदेश में एक अलग पहचान है। देश व दुनिया में मनाई जाने वाली दीपावली इस वर्ष रामभक्तों के लिए बहुत विशेष है, क्योंकि श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में 500 वर्ष बाद पहली बार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वर्चुअल दीपावली मनाने जा रही है और इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे। इस डिजिटल दीपावली के आयोजन पर अयोध्या में भक्तों के लिए दीप जलाने के विशेष इंतजाम होंगे। इस बार 13 नवम्बर को होने वाले वर्चुअल दीपोत्सव के लिए जल्द नई वेबसाइट लॉन्च होगी। दीपोत्सव में भाग लेने वालों को दीप जलाने के बाद प्रदेश सरकार की ओर से धन्यवाद पत्र मिलेगा। योगी सरकार बीते चार साल से अयोध्या में सरयू तट पर दीपोत्सव का आयोजन कर रही है। इस आयोजन में हर बार बड़ी संख्या में एक साथ एक स्थान पर दीप जलाने का विश्व रिकॉर्ड भी बनता रहा है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के अनुसार वर्चुअल दीपोत्सव वास्तविक जैसा ही अनुभव देगा। इस आयोजन के लिए शुरू किए जाने वाले पोर्टल पर रामलला विराजमान की तस्वीर होगी। जिसके सामने वर्चुअल दीप प्रज्ज्वलन होगा। पोर्टल पर सुविधा होगी कि श्रद्धालु अपने भावानुसार मिट्टी, तांबे, स्टील, अथवा किसी अन्य धातु के दीप-स्टैंड का चयन करें। घी, सरसों अथवा तिल के तेल का विकल्प भी उपलब्ध होगा, उन्होंने बताया कि श्रद्धालु अगर पुरुष है तो पुरुष अथवा महिला होने पर महिला के वर्चुअल हाथ दीप प्रज्ज्वलित करेंगे। दीप जलाने के बाद श्रद्धालु के विवरण के आधार पर रामलला की तस्वीर के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से धन्यवाद-पत्र भी जारी होगा। मुख्य समारोह से पूर्व यह वेबसाइट अमेजॉन के लिए लॉन्च कर दी जाएगी। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को अपील की थी कि इस दीपावली पर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर पर्व के साथ स्थानीय सामान खरीदें और उसकी चर्चा करंे तो स्थानीय उत्पाद बनाने वालों की दीपावली और रोशन हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को यह एक ऐसा मूल मंत्र दिया है, अगर भारतवासी इस मूलमंत्र को अपना लें तो भारत के करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा तथा देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। किसी के जीवन में रोशनी आ जाए इससे बड़ी दीपावली की खुशी और क्या होगी। स्वदेशी के साथ ही स्वाभिमान जुड़ा हुआ है। स्वदेशी को अपनाने से ही हमारे जीवन में सही अर्थों में रोशनी आएगी और घरों में घी के दिए जलेंगे। कोरोना महामारी को सारा विश्व झेल रहा है। भारत सरकार ने सही समय पर उचित निर्णय लेकर करोड़ों भारतवासियों की जान बचाकर उनके घरों के दीपों को बुझने नहीं दिया पर लाखों ऐसे अभागे भी हैं जिनके घरों के चिराग कोरोना महामारी के कारण बुझ गए हैं। कोरोना महामारी पर काबू पाने में तो भारत सरकार सफल रही है लेकिन कोरोना महामारी की दवा अभी तक नहीं बनी। इस कारण दीपावली सहित हमारे अन्य पर्वों पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस बात को देखते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय की पीठ जिसके सदस्य न्यायाधीश चन्द्रचूड और न्यायाधीश इन्दिरा बनर्जी ने एक याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि 'वैश्विक महामारी के बीच जिन्दगी खुद इस समय संकट में है। पीठ ने कहा कि हम सभी इस हालात में जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं और हम सभी के घरों में बुजुर्ग हैं। हम एक ऐसी स्थिति में हैं, जहां जिंदगी की रक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है और हाईकोर्ट जानता है कि जमीनी स्तर पर क्या जरूरी है।Ó पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला वरिष्ठ नागरिकों के हित में है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय का उपरोक्त आदेश बंगाल में काली पूजा के दौरान पटाखों की बिक्री और जलाने पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाई रोक के विरुद्ध की गई अपील के दौरान आया। दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। पंजाब, हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण हवा प्रदूषित होती चली जा रही है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोई भी ऐसा काम न करें जिस कारण प्रदूषण बढ़े। पटाखों के चलने से प्रदूषण बढ़ता है, पटाखे न चलाएं तो यह सबके हित में होगा। निरोगी काया की कामना ही हम सब करते हैं, लेकिन यह तभी संभव होगा जब हवा व पानी स्वच्छ होगा। इस दीपावली यह संकल्प लें कि ऐसा कोई कर्म नहीं करेंगे जिससे प्रदूषण बढ़े। भगवान राम ने मातृभूमि को स्वर्ग से बढ़कर कहा है। हमें भी अपनी मां-भूमि के प्रति अपने कत्र्तव्यों को निभाने का संकल्प इस दीपावली पर लेना चाहिए। यही आज समय की मांग है। दीपावली की शुभकामनाओं सहित


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