लखनऊ (मानवी मीडिया) कन्नौज जिले में भारी रकम लेकर जज के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगा वाहन रिलीज ऑर्डर खुद जारी करने वाले लोगों का पता चला है। इंदरगढ़ पुलिस को इसकी भनक तब लगी जब उसके सामने एक ट्रैक्टर को छोड़ने के लिए रिलीज आर्डर लेकर किसान पहुंच गया। रिलीज ऑर्डर फर्जी होने की आशंका पर थाना प्रभारी ने छानबीन की तो इसकी पुष्टि भी हो गई। पुलिस ने फिलहाल ट्रैक्टर मालिक किसान को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज किया है। इसी के सहारे व गैंग तक पहुंचने की जुगत कर रही है। इस मामले में कुछ वकील भी फंस सकते हैं। इटावा जनपद के थाना बसरेर के गांव दरौल निवासी जन्मेद सिंह ने पत्नी आजाद कुमारी के नाम से ट्रैक्टर खरीदा था। करीब एक माह पूर्व एआरटीओ ने इंदरगढ़ थाना क्षेत्र में ट्रैक्टर को ओवरलोडिंग में सीज कर थाने में खड़ा करा दिया था। कोर्ट से रिलीज ऑर्डर लेने के प्रयास के दौरान जन्मेद की कुछ वकीलों से जान-पहचान हो गई। वकीलों ने उससे 53 हजार रुपये लेकर स्वयं सीजेएम के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगाकर रिलीज ऑर्डर तैयार कर दिया। बीते गुरुवार को इंदरगढ़ निवासी एक वकील के साथ रिलीज ऑर्डर लेकर जन्मेद सिंह इंदरगढ़ थाने पहुंचा। यहां थाना प्रभारी विमलेश कुमार को रिलीज ऑर्डर दिया। जिसे देखते ही थाना प्रभारी को फर्जी होने की आशंका हुई। थाना प्रभारी ने सीजेएम के लिपिक से वार्ता करने पर उन्होंने इस तरह के रिलीज ऑर्डर के जारी होने से इंकार कर दिया। पूरे मामले की जांच के बाद मुख्य आरक्षी मनोज कुमार की तहरीर पर थाने में जन्मेद सिंह और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ फर्जी रिलीज ऑर्डर जारी करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। थाना प्रभारी ने बताया कि फर्जीवाड़े में कई नाम सामने आ रहे है। छानबीन में यदि वे दोषी लगे तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। *थाने के पास चल रहा था रैकेट* फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगाकर ऑर्डर जारी करने वाले गिरोह में कुछ वकील और अन्य लोग शामिल हैं। चर्चा है कि गैंग बड़ी रकम लेकर कई दिनों से यह फर्जी काम कर रहा था। थाने के आसपास अक्सर रहने वाले कुछ वकील भी इसमें शामिल हैं। *आरोपियों को हो सकती आजीवन कारावास* फर्जी ढंग से रिलीज ऑर्डर जारी होने के मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ षडयंत्र, कूटरचना, धोखाधड़ी के तहत मुकदमा दर्ज किया है। थाना प्रभारी ने बताया कि धारा 467 और 468 के तहत फर्जी दस्तावेज तैयार कर इनका प्रयोग करना आता है। इन धाराओं में आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
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Friday, October 30, 2020
जज के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगाकर बना दिया रिलीज ऑर्डर, ऐसे खुला मामला
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