अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार के संकेत.   संपादकीय         - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Tuesday, October 27, 2020

अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार के संकेत.   संपादकीय        

अनलॉक 5 की शुरुआत के साथ देश की अर्थव्यवस्था में अनेक अच्छे संकेत प्राप्त हुए हैं। निसंदेह कोविड 19 संक्रमण रुका नहीं है कुछ कम अवश्य हुआ है लेकिन रिकवरी दर में तेजी से सुधार के साथ मृत्यु दर में महत्वपूर्ण गिरावट देखने  को मिल रही है। अधिक सावधानी ही इससे संघर्ष का एक उपाय है। इसके साथ अर्थव्यवस्था में भी निरंतर गतिशीलता आवश्यक है। अत्यधिक महत्वपूर्ण कुछ संकेत देश के औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र, रेलवे ढुलाई, चालू खाते के आधिक्य, विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय ऋण में ग्यारह माह पश्चात शुद्ध निवेश, बैंकों की ऋण ब्याज दर में लगातार गिरावट, देश के वित्त बाजार में पर्याप्त नकद तरलता की स्थिति, पर्यटन क्षेत्र में पुन: तेजी से सुधार की शुरुआत, देश की अर्थव्यवस्था में तीव्रता से मांग वृद्धि, ऑटोमोबाइल बिक्री में तेजी से वृद्धि के साथ दो वर्ष के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना।  ई-वे बिल मार्च 2020 के पश्चात 50.2 मि. के सर्वोच्च स्तर पर तथा जीएसटी वसूली में त्वरित सुधार यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारत की अर्थव्यवस्था विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रही है। एक और शुरूआत औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र में परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक में त्वरित सुधार के साथ सितम्बर 2020 में हुई है। सूचकांक 8.5 वर्ष के अधिकतम 56.8 अंक को छू गया है जो अगस्त में 52 अंक पर था। इसके साथ ही देश के निर्यात आदेशों में भी क्रमिक सुधार देखने को मिल रहा है। सितम्बर में भारत के निर्यात 5.27 प्रतिशत बढ़कर 27.4 बि. डॉलर हो गये है जो सितम्बर 2019 में 26.03 बि. डॉलर थे। चीन विरोधी धारणा को लाभ होने की संभावना है।  वित्तीय मोर्चे पर देश की अर्थव्यवस्था पर तेजी से दबाव कम हुआ है। भारत का चालू खाते का घाटा आधिक्य में परिवर्तित हो गया है अर्थात निवेश मजबूत स्तर पर बना हुआ है। व्यापार घाटा कम हुआ है। अप्रैल- जून के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 28 बि. डॉलर की वृद्धि हो गई है। इसमें 20 बि. डॉलर निर्यात आय के रूप में प्राप्त हुए हैं तथा 8 बि. डॉलर की वृद्धि मूल्यांकन वृद्धि के कारण संभव हुई ह।ै इसके चलते भारतीय रुपया भी स्थिर व मजबूत रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि संपूर्ण वर्ष के दौरान अनेक वर्षों में पहली बार भारत का चालू खाते आधिक्य देखने को मिलेगा। भारतीय मुद्रा स्थिर रही है विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। विदेशी निवेशक प्राईवेट इक्विटी निवेशकों का भारत में निवेश रूझान सरकार के आर्थिक सुधारों व उदार नीतियों के कारण देखने को मिल रहा है। यही गतिशीलता वर्ष की शेष अवधि में भी जारी रहने की संभावना है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना का भी देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिला है। प्रथम तिमाही के दौरान भारत का आयात 5.2 फीसद घटकर 62.3 बि. डॉलर रह गया है जो गत वर्ष समान अवधि में 129.5 बि. डॉलर था।  सितम्बर 2020 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 41.84 करोड़ रुपये के ऋण उत्पादों में निवेश किया है इससे पूर्व नवम्बर 2019 से अगस्त 2020 तक शुद्ध 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिक्री की थी। विश्व स्तर पर तेल के मूल्य में निरंतर गिरावट बनी हुई है। राजस्व आय की आवश्यकता के कारण तेल उत्पादक देशों को उत्पादन को यथावत रखने पर मजबूर होना पड़ रहा है और इससे मूल्य पर स्पष्ट दबाव देखने को मिल रहा है। बेंट का मूल्य फ्यूचर 1.5 प्रतिशत घटकर 41.65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को छू गया है जबकि वेस्ट टेक्सास का मूल्य तो 39.53 डॉलर प्रति बैरल ही रह गया है इससे भारत को विदेशी मुद्रा के संदर्भ में महत्वपूर्ण बचत हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में अच्छा संकेत यह भी है कि मानसून के मौसम के पश्चात तक भारत में खरीफ की बुवाई गत वर्ष के मुकाबले 4.51 प्रतिशत अधिक हुई है। मानसून सामान्य से अच्छा रहा है और रबी की फसल के पश्चात अब खरीफ की फसल में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रय शक्ति तेजी से बढऩे व ग्रामीण क्षेत्र में एफएमसीजी व अन्य ड्यूरेबल्स के साथ ऑटोमोबाइल उत्पादों की बिक्री में महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना है। चावल की बुवाई 5.19 प्रतिशत, तिलहन की बुवाई 9.3 प्रतिशत तथा दलहन की बुवाई 3.79 प्रतिशत के साथ कपास की बुवाई 2 प्रतिशत बढ़ गई है। खरीफ की फसल का पहला अग्रिम अनुमान यही संकेत देता है कि उत्पादन अब तक का सर्वाधिक 144.52 मि. टन हो सकता है। इसमें अकेले चावल की हिस्सेदारी 102 मि. टन की होगी। सरकार ने बढ़ी हुई कीमत पर समर्थन मूल्य पर खरीद की योजना तैयार कर ली है।  


Post Top Ad