यूरोपीय संसद में CAA पर भारत की कूटनीतिक जीत, प्रस्ताव पर टला मतदान - मानवी मीडिया

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Thursday, January 30, 2020

यूरोपीय संसद में CAA पर भारत की कूटनीतिक जीत, प्रस्ताव पर टला मतदान




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  • अंतर्राष्ट्रीय09:35 am बृहस्पतिवार 30 जनवरी, 2020 नई दिल्ली नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर भारत को कूटनीतिक सफलता मिली है। यूरोपीय संसद में नागरिकता CAA के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग टाल दी गई। पहले जो वोटिंग गुरुवार को होने वाली थी वो अब 31 मार्च को होगी। दरअसल, बिजनेस एजेंडा के क्रम में दो बार वोट पड़ने थे। पहला प्रस्ताव को वापस लेने को लेकर था। इसके पक्ष में 356 वोट पड़े और विरोध में 111 वोट डाले गए। वहीं दूसरा प्रस्ताव वोटिंग बढ़ाने को करने पर था। इसके पक्ष में 271 और विरोध में 199 वोट पड़े।पहले इस प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को मतदान होने की उम्मीद थी। यूरोपीय संसद के सदस्यों द्वारा पेश पांच अलग-अलग संकल्पों वाले संयुक्त प्रस्ताव को ब्रुसेल्स में बुधवार को पूर्ण अधिवेशन के अंतिम एजेंडे में बहस के लिए रखा गया। प्रस्ताव में मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के बयान का जिक्र किया गया है, जिसमें सीएए को मौलिक अधिकारों के प्रति भेदभावपूर्ण कहा गया।यूरोपीय संसद से जारी एक बयान में सीएए पर लाए प्रस्ताव पर मतदान को मार्च के सत्र तक टालने की बात कही गई है। हालांकि इस स्थगन की वजह अभी साफ नहीं हो सकी है लेकिन इसके पीछे भारत सरकार की कोशिशों को माना जा रहा है। भारत कानून को अपना आंतरिक मामला बताकर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रहा है। हालांकि यूरोपीय संसद के बयान में कहा गया है कि प्रस्ताव पर अपने तय कार्यक्रम के अनुसार बहस होगी।प्रस्ताव लाने वाले समूहों में यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स), प्रोग्रेसिव अलायंस ऑफ सोशलिस्ट एंड डेमोक्रेट, ग्रुप ऑफ ग्रीन/ यूरोपियन फ्री अलायंस, रिन्यू यूरोप ग्रुप और यूरोपियन युनाइटेड लेफ्ट/ नोर्डिच ग्रीन लेफ्ट ग्रुप के कुल 751 सांसदों में से 560 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें से सात ऐसे सांसद भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल भारत सरकार के निमंत्रण पर कश्मीर का दौरा किया था।हालांकि भारत सरकार ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। देश की संसद के दोनों सदनों ने इस बिल को पारित किया है, जिसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना है। बीते सोमवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने यूरोपियन संसद के अध्यक्ष डेविड मारिया ससोली को पत्र लिखकर प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को कहा था।




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