वाराणसी (मानवी मीडिया) नगर निकाय चुनाव को लेकर 10 साल बाद एक बार फिर से वाराणसी महापौर की सीट अनारक्षित हो गई है. 2012 में यह सीट आरक्षित की गई थी. जबकि 2017 में यह सीट ओबीसी महिला थी. इस बार महापौर की सीट को अनारक्षित रखा गया है.
1989 में स्वालेह अंसारी बने थे मेयर
वर्ष 1989 में सभासदों के वोट के माध्यम से स्वालेह अंसारी महापौर बने थे. इसके बाद जब 1995 में नगर निगम का गठन हुआ तो उस समय यह सीट ओबीसी महिला थी. उस दौरान सरोज सिंह महापौर बनी थी. सन 2000 में यह सीट ओबीसी पुरुष थी, उस समय अमरनाथ यादव महापौर बने थे.
2017 में ओबीसी महिला थी सीट
2006 में यह सीट दोबारा ओबीसी पुरुष की गई थी. उस समय कौशलेंद्र सिंह महापौर बने थे. 2012 में यह सीट अनारक्षित की गई थी. उस समय रामगोपाल मोहले महापौर बने थे. फिर 2017 में यह सीट ओबीसी महिला कर दी गई. इस समय वर्तमान में मृदुला जयसवाल महापौर हैं.
नगर निगम सीटों का आरक्षण
इससे पहले नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने आज राजधानी में लोकभवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि लखनऊ, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बरेली, शाहजहांपुर मेयर की सीट अनारक्षित घोषित की गयी है. अयोध्या, सहारनपुर, मुरादाबाद की सीट महिला घोषित की गयी है.
नगर निगम की 6 सीटें आरक्षित
उन्होंने बताया कि 17 नगर निगम में से अनुसूचित जाति के लिये दो सीटें आरक्षित की गयी हैं. इनमें एक अनुसूचित जाति महिला एक और अनुसूचित जाति को एक सीट दी गयी है. पिछड़ा वर्ग के लिये चार सीट आरक्षित की गयी हैं. इनमें से पिछड़ा वर्ग महिला और दो पिछड़ा वर्ग को दी गयी हैं. 11 सीटें अनारक्षित हैं. इनमें से 3 महिला और 8 सीट सामान्य घोषित की गयी हैं.
कुल 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 545 नगर पंचायत
नगर पालिका परिषद की 200 सीटों में से 27 सीटें अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित की गयी हैं. 9 सीट अनुसूचित जाति महिला और 18 सीट अनुसूचित जाति को दी गयी हैं. 54 सीटें पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित की गयी हैं. इनमें 18 पिछड़ा वर्ग महिला व 36 सीट पिछड़ा वर्ग को दी गयी हैं. इसके अलावा महिलाओं के लिये 40 सीटें और 79 सीटें अनारक्षित घोषित की गयी हैं.