पर्यावरण निदेशालय में राज्य स्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र जल्द शुरू होगा - मानवी मीडिया

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Thursday, December 29, 2022

पर्यावरण निदेशालय में राज्य स्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र जल्द शुरू होगा

लखनऊ:( मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना के सामरिक ज्ञान मिशन के अन्तर्गत जलवायु परिवर्तन के अनुकुलन एवं शमन हेतु अनुसंधान करना एवं उसे राज्य के विभिन्न विभागों की नीतियों/कार्यवाहियों में एकीकृत कराने की कार्यवाही की जानी है। इस संबंध में अग्रतर कार्यवाही करते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा GIZ India  के सहयोग से आज   कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना द्वारा किया गया।

      जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की गंभीरता को देखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 से 2029-30 की उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना का निरूपण किया गया है। राज्य के सभी संबंधित विभागों के सक्रिय सहयोग से एवं GIZ India के तकनीकी सहयोग से उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना बनायी गयी है। मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के द्वारा उक्त कार्ययोजना अनुमोदित की गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना में उत्तर प्रदेश राज्य में जलवायु परिवर्तन के अनुकुलन एवं शमन हेतु 9 मिशन के अन्तर्गत रणनीतियों एवं कार्यवाहियां निरूपित की गयी हैं।

      डा0 अरूण कुमार सक्सेना द्वारा अपने उद्घाटन भाषण में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा निरूपित उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना की जानकारी देते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। डा0 सक्सेना ने उपस्थित अधिकारियों से अपेक्षा की कि वह सुनिश्चित करें कि कार्यशाला में प्रस्तुत शोध के निष्कर्षाे को विभाग द्वारा निरूपित नीतियों में समाहित किया जाये, जिससे विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुकुलन एव शमन हेतु राज्य तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि  उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना के सामरिक ज्ञान मिशन के अन्तर्गत राज्य में प्रस्तावित जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र की स्थापना हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगीकी विभाग, भारत सरकार स्वीकृति प्रदान करने की जानकारी देते हुए अवगत कराया गया कि शीघ्र ही पर्यावरण निदेशालय उ0प्र0 के गोमती नगर स्थित कार्यालय में राज्य स्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र कार्य करना शुरू कर देगा। उक्त राज्य

स्तरीय जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र द्वारा सामुदायिक जागरूकता और संवेदीकरण ज्ञान प्रबंधन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना में चिन्हित विभिन्न शोध/अध्ययन करने का कार्य किया जायेगा। ज्ञान केन्द्र जलवायु परिवर्तन जागरूकता के लिए संचार सामग्री विकसित करेगा और राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय तकनीकी संस्थानों से नेटवर्किंग करेगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य के लोगो के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य ज्ञान नेटवर्क के अर्न्तगत, तत्वा फाउंडेशन, लखनऊ एवं गोरखपुर एनवायरनमेंट एक्शन ग्रुप के सहयोग से एक सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म, शेल्टर, विकसित करेगा। यह प्लेटफॉर्म आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्नीग का उपयोग कर क्षेत्रीय भाषाओं में व्यक्तिगत जलवायु परिवर्तन से संबंधित सूचना का आदान प्रदान करेगा।

  कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में  मनोज सिहं द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारणों, प्रभावों एवं उसको समझने की आवश्यक्ता पर प्रकाश डालते हुए जलवायु कार्यवाही के क्षेत्र में शोध के महत्व एवं शोध के निष्कर्षाे को नीतियों एवं कार्यवाहियों में एकीकृत करने पर बल दिया गया। श्री आशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा कार्यशाला के परिप्रेश्य इसके आयोजन की क्रियाविधि आदि बताने के लिए एक प्रस्तुतिकरण किया। उद्घाटन सत्र में प्रो0 अनिल कुमार गुप्ता, विभागाध्यक्ष, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा दिनांक 17 से 19 जनवरी 2023 को नई दिल्ली बदलती जलवायु में आपदा जोखिम में कमी के लिए नीति नियोजन और कार्यान्वयन इंटरफेस विषय पर होने वाली ‘‘रेसिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी समिटः विजन 2047” की जानकारी दी गयी। उद्घाटन सत्र में  ममता संजीव दुबे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष, उ0प्र0 एवं  कीर्तिमान अवस्थी, वरिष्ठ सलाहकार, जी.आई0जेड द्वारा भी जलवायु परिवर्तन के स्थानियकरण के संबंध में अपने विचार रखे गये। उद्घाटन सत्र के उपरान्त तकनिकी सत्र का आयोजन किया गया।

       प्रथम तकनिकी सत्र में वसुधा फाउंडेशन तथा अलायन्स फॉर एनर्जी

एफ्फिसिएंट इकॉनमी, नई दिल्ली द्वारा जलवायु परिवर्तन के स्थानियकरण; आई.आई.एम लखनऊ द्वारा जलवायु स्मार्ट कृषि; नबार्ड द्वारा जलवायु वित्त; सेंट्रल इंस्टिट्यूट फॉर सुब्त्रोपिकाल हॉर्टिकल्चर द्वारा सुब्त्रोपिकाल हॉर्टिकल्चर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव; इंडियन ग्रास्लैंड एंड फोडर रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा वर्ष भर जलवायु अनुकूल चारा उत्पादन प्रणाली; सिमैप द्वारा उ0प्र0 के लिए जलवायु परिवर्तन और उपयुक्त औषधीय और सुगंधित पौधे; एन.बी.आर.आई द्वारा वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के शमन में शहरी वन की भूमिका; बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान द्वारा उ0प्र0 के वेटलैंड्स और पॉलिसी गैप एवं सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा जलवायु संवेदी एग्रोफोरेस्ट्री पर प्रस्तुतिकरण किया गया। द्वितीय तकनिकी सत्र में तत्वा फाउंडेशन द्वारा शेल्टर एप पर; बनारस हिंदु विश्वविद्याालय के शोधकर्ताओं द्वारा उष्णकटिबंधीय घास के मैदान में मिट्टी की पोषक तत्वों की उपलब्धता पर मानसुन के प्रभाव एवं भारत के तापमान सजातीय क्षेत्रों के लिए बहुभिन्नरूपी सूखा विश्लेषणः गोमती नदी बेसिन से सीख एवं भीमराव अंबेडकर संस्थान द्वारा एरोबिक, केमोहेटरोट्रोफिक बैक्टीरिया के प्रभाव पर प्रस्तुतिकरण किया गया ।

      इसके उपरान्त ‘‘जलवायु कार्रवाई के स्थानीयकरण पर सामरिक ज्ञान और अनुसंधान आवश्यकताओं के लिए आगे की राह’’ विषय पर एक पैनल विचार विमर्श का आयोजन किया गया । पैनल विचार विमर्श में श्री मनोज सिहं, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग; श्री अशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग; प्रो0 अनिल कुमार गुप्ता, विभागाध्यक्ष, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली;  कीर्तिमान अवस्थी, वरिष्ठ सलाहकार ने हिस्सा लिया।

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