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Sunday, December 11, 2022

साहिबाबाद और गाजियाबाद बस अड्डे भी एयरपोर्ट की तर्ज होंगे विकसित


इंदिरापुरम: (
मानवी मीडिया)  उत्तर प्रदेश में कौशांबी बस अड्डे के अलावा, साहिबाबाद और गाजियाबाद बस अड्डों को भी बसपोर्ट यानी एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। तीनों बस अड्डों के अलग-अलग क्षेत्रफल के हिसाब से कुल 484 करोड़ रुपये इनके विकास में खर्च होंगे। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड (यूपीएसआरटीसी) के क्षेत्रीय प्रबंधक एके सिंह ने बताया कि कौशांबी के साथ ही साहिबाबाद हमारे लिए खास होगा। इसे रैपिड ट्रेन से कनेक्ट किया जाएगा। 15000 स्क्वायर मीटर में 161 करोड़ की लागत से इसे विकसित किया जाएगा। यह बस अड्डा आने वाले समय में ट्रांसपोर्ट का बड़ा हब होगा। इस बस अड्डे से सौर ऊर्जा मार्ग, महाराजपुर, औद्योगिक क्षेत्र के आसपास वसुंधरा, साहिबाबाद, मोहन नगर, कड़कड़ मॉडल, झंडापुर, के लाखों निवासियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। वहीं, गाजियाबाद बस अड्डे के लिए अनुमानित लागत 62 करोड़ इसका कायाकल्प कर देगी।

आरएम एके सिंह ने बताया कि दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे में हमारे कई प्लैटफॉर्म आरक्षित हैं। कई बसें यात्रियों को वहां से पकड़नी पड़ती हैं। इसके लिए सड़क और फुट ओवरब्रिज का सहारा लेना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के तहत अब अंडरग्राउंड सबवे बनाया जाएगा। इसके तहत कौशांबी बस अड्डे को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से जोड़ा जा सकेगा। यात्री बिना किसी दिक्कत एक जगह से दूरी जगह आ जा सकेंगे।

प्रदूषण से मिलेगी राहत

एके सिंह ने बताया कि हमारे यहां से करीब 900 बसों का संचालन होता है। प्रतिदिन करीब 40 से 50000 लोगों का यहां आवागमन होता है। ऐसे में ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण खूब रहता है। वाहनों के हॉर्न की आवाज, अनाउंसमेंट और धुआं लोगों को परेशान करता है। अब विकसित होने वाले बस अड्डों में एसी यात्री प्रतीक्षालय होंगे। बस अड्डे पर रात को रुकने के लिए रेस्ट हाउस भी बनाए जाएंगे। यह अलग-अलग कैटिगरी के होंगे। इसे एसी, नॉन एसी, डीलक्स व सुपर डीलक्स के हिसाब से बांटा जाएगा

वर्ष 2025 तक तैयार होने की उम्मीद

लखनऊ का आलम बाग बस अड्डा बनवा चुके आरएम एके सिंह को फिर से एकबार जिम्मेदारी दी गई है। जिन्होंने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, साल 2025 तक इन्हें तैयार हो जाना चाहिए। चूंकि शासन से हरी झंडी मिलने के बाद प्रॉजेक्ट पर तेजी से काम होना तय है। पीपीपी मॉडल में इस बात की खासियत देखने को मिलती है। 30 जनवरी को टेंडर के लिए बोली होगी, जो कंपनी सक्षम होगी, उसे यह जिम्मेदारी मिलेगी।

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