LEGAL नियमित जमानत पर रिहा आरोपी को अतिरिक्त धाराओं में अग्रिम जमानत दी जा सकती है, यदि वह आजादी का दुरुपयोग नहीं कर रहा: इलाहाबाद हाईकोर्ट - मानवी मीडिया

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Tuesday, October 4, 2022

LEGAL नियमित जमानत पर रिहा आरोपी को अतिरिक्त धाराओं में अग्रिम जमानत दी जा सकती है, यदि वह आजादी का दुरुपयोग नहीं कर रहा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

लखनऊ (मानवी मीडिया)इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति जिसे पहले ही सीआरपीसी की धारा 439 के तहत नियमित जमानत दी जा चुकी है और यदि यह पाया जाता है कि उसने स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया है तो उसे एक ही अपराध से संबंधित अतिरिक्त धाराओं के संबंध में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत दी जा सकती है। 

🟦इसके साथ ही जस्टिस कृष्ण पहल की खंडपीठ ने आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 के तहत अपराध के सिलसिले में शहजाद नामक एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी।

⬛उसे फरवरी 2022 में सत्र न्यायाधीश, सहारनपुर ने धारा 379, 427 आईपीसी, धारा 15, 16 पेट्रोलियम एंड मिन‌िरल्स पाइपलाइन (एक्विजिशन ऑफ यूजर्स इन लैंड) एक्ट, एक्सक्लुसिव सबस्टांस एक्ट की धारा 3/4, और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3/4 के तहत जमानत दी थी।

🟪 उसी मामले में जांच के बाद आवश्यक वस्तु अधिनियम की अतिरिक्त धारा 3/7 में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। इसलिए, उन धाराओं में भी अग्रिम जमानत की मांग करते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट का रुख किया।

🟫 वकील ने तर्क दिया कि उपरोक्त धाराओं को केवल आवेदक के मामले को विफल करने के लिए जोड़ा गया था, ताकि उसे सलाखों के पीछे भेजा जा सके। यह भी तर्क दिया गया कि एक बार आवेदक को नियमित जमानत दे दी गई थी तो यह बताने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं था कि उसने इसका दुरुपयोग किया था या उसने कोई अन्य अपराध किया था।

 इस संबंध में, 

➡️भद्रेश बिपिनभाई शेठ बनाम गुजरात राज्य और अन्य 2016 (1) SCC (Cri) 240 और मनोज सुरेश जाधव और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य, 2018 SCC ऑनलाइन SC 3428 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को भी संदर्भित किया गया, जिसमें आवेदकों को नियमित जमानत दिए जाने के बाद अतिरिक्त धाराओं में अग्रिम जमानत दी गई थी। 

🟥मामले और आगे की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि यह सच है कि आवेदक को उक्त एफआईआर में जमानत दे दी गई है और उन्होंने जांच के दरमियान इसका दुरुपयोग नहीं किया है। एजीए द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं जताई गई है, इसलिए, अदालत ने कहा कि उन्हें अतिरिक्त धाराओं में फिर से सलाखों के पीछे भेजने का कोई फायदा नहीं होगा।

 नतीजतन, 

❇️आवेदक को अग्रिम जमानत का हकदार पाया गया, और इस प्रकार, अग्रिम जमानत आवेदन की अनुमति दी गई। कोर्ट ने आदेश दिया कि आवेदक को अग्रिम जमानत पर 50,000 रुपये के निजी मुचलके और संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए समान राशि में दो जमानतदार पर रिहा किया जाए। 

*केस टाइटल- शहजाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य*

*[CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION US 438 CRPC No- 9391 of 2022]*

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