कर्नाटक के अलावा असम से भी पीएफआई से जुड़े चार लोगों को कल नगरबेरा इलाके से हिरासत में लिया गया। पीएफआई के खिलाफ जिले के कई हिस्सों में छापेमारी अभी भी जारी है। इस बात की जानकारी असम के एडीजीपी (विशेष शाखा) हिरेन नाथ ने दी है। इससे पहले, असम पुलिस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से पीएफआई के कार्यकर्ताओं के 11 नेताओं और दिल्ली से एक नेता को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली से जामिया तक पीएफआई के ठिकानों पर NIA की छापेमारी हो रही है। संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की जा रही है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मेरठ से लेकर बुलंदशहर तक पीएफ आई के ठिकानों पर एटीएस की छापेमारी की जा रही है।
बता दें कि बीते गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी के नेतृत्व में कई एजेंसियों ने देशभर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान सौ से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था। वहीं महाराष्ट्र एटीएस ने राज्य से 20 लोगों को हिरासत में लिया था।
पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है।
कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। यहां तक कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के वक्त एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।