नई दिल्ली (मानवी मीडिया) भारत में चावल की कीमतों को कंट्रोल में लाने के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक सरकार ने चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में औसत से कम बारिश की वजह से चावल के उत्पादन में दिक्कत आने की आशंका है।
हालांकि, इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध लगाने की योजना नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया था कि घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक है। बता दें कि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 21.2 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था।
हालांकि, इस साल कम बारिश के कारण धान की बुवाई का रकबा 6% घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर रह गया है। चालू खरीफ सीजन के 26 अगस्त तक, झारखंड में 10.51 लाख हेक्टेयर, पश्चिम बंगाल (4.62 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (3.45 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (2.63 लाख हेक्टेयर), बिहार से धान का कम रकबा बताया गया है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। वहीं, चीनी के निर्यात को लेकर भी कुछ जरूरी पाबंदियां लगाई गई हैं। व्यापारियों को इस बात की आशंका थी कि सरकार चावल के निर्यात पर भी सख्ती दिखा सकती है। अब यह आशंका हकीकत में बदल गई है।