पहले केस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने छह मई को रेड्डी वीराना के पक्ष में 100 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान छह सप्ताह में करने का निर्देश दिया था। मामले की जानकारी के अनुसार रेड्डी ने 1997 में छलेरा बांगर गांव में 2.18 बीघा (7400 वर्ग मीटर) जमीन खरीदी थी। एक साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी जमीन मालिक के पक्ष में फैसला सुनाया था। हालांकि मुआवजे की राशि कम थी। इसलिए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल किया। इसा मामले में प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुजावजे की राशि ब्याज के साथ देने और इस मामले में पार्टी बने डीएलएफ को बाहर कर दिया।
एक अलग मामले में एनजीटी ने नोएडा प्राधिकरण को 00 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण ने एनजीटी में पुर्नविचार याचिका दायर की थी जिसे खारिज करते हुए एनजीटी ने 100 करोड़ रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया और कहा कि आप चाहें तो हायर कोर्ट जा सकते है।