अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार, केंद्र से मांगा जवाब - मानवी मीडिया

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Thursday, August 25, 2022

अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार, केंद्र से मांगा जवाब

 

नई दिल्ली (मानवी मीडिया): दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में भर्ती की बहुचर्चित अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की गुरुवार को सुनवाई हुई। इसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह चार सप्ताह में याचिका में उठाए गए मुद्दों का जवाब दें।

केंद्र सरकार द्वारा 14 जून को अग्निपथ योजना को लॉन्च किया गया। इसके तहत युवाओं को सेना में 4 साल के लिए भर्ती किए जाने का प्रावधान किया गया।

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने कहा था कि वह सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर 25 अगस्त को सुनवाई करने वाला है। अग्निपथ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं, लेकिन शीर्ष अदालत ने सभी याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष पेंडिंग पड़ी याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है।

अग्निपथ योजना के खिलाफ केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी हाईकोर्ट को कहा था कि उनके समक्ष दायर याचिकाओं को या तो दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया जाए या फिर स्थगित रखा जाए। ऐसा तब तक किया जाए, जब तक कि दिल्ली हाईकोर्ट अपना फैसला नहीं सुना देती है। इस पर आखिरी सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ट्रांसफर किए गए मामलों की फाइल अभी तक उसके पास नहीं पहुंची है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार 14 जून को अग्निपथ योजना को लेकर आई। इस योजना के तहत 17।5 साल से लेकर 21 साल तक की उम्र के युवाओं को सशस्त्र बलों में चार साल के लिए भर्ती किए जाने का प्रावधान दिया गया। योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं में से 25 फीसदी को चार साल बाद सेना में स्थायी नौकरी देने की बात कही गई। हालांकि, इसके बाद युवाओं के बीच योजना को लेकर रोष पैदा हो गया। सरकार ने भी योजना के लिए अपर एज लिमिट को बढ़ाकर 23 साल कर दिया था। जल्द ही याचिका के खिलाफ देश के अलग-अलग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं।

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