गर्भगृह के बाद विश्वनाथ मंदिर की बाहरी दीवारें भी हुईं स्वर्णमयी - मानवी मीडिया

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Thursday, June 9, 2022

गर्भगृह के बाद विश्वनाथ मंदिर की बाहरी दीवारें भी हुईं स्वर्णमयी


वाराणसी (मानवी मीडिया
काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के बाद बाहरी दीवारों पर भी सोना लगा दिया गया। पहले से सोना लगे शिखर के नीचे गर्भगृह के गेट तक सोना लगाया गया है। पिछले गुरुवार को मंगला आरती के बाद सोना लगाने का काम शुरू हुआ था। ठीक एक हफ्ते बाद गुरुवार को ही इसका काम पूरा हो गया। गर्भगृह के अंदर करीब 37 किलो सोना लगा था। बाहरी दीवार पर 23 किलो सोना लगा है। गर्भगृह के अंदर सोना लगने के बाद कहा गया था कि पीएम मोदी की मां हीराबेन के वजन के बराबर सोना दक्षिण भारत के एक श्रद्धालु के दान करने पर लगा है। हालांकि इस बार ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है। सीईओ ने सोना को गुप्त दान बताया है।

मंदिर अधिकारियों के मुताबिक गर्भगृह की बाहरी दीवार पर सोना मढ़ने के बाद चारों चौखट से चांदी हटाकर उसपर भी सोने की परत लगायी जाएगी। इसके लिए सांचा तैयार हो गया है। इसे अंतिम चरण में बारी-बारी से लगाया जाएगा।

विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के अंदर की स्वर्णजड़ित दीवारों पर एक्रेलिक शीट (पारदर्शी फाइबर) भी लगा दी गई है। स्वर्णमंडित दीवारों को गंदगी व धुआं आदि से बचाने के लिए शीट लगाई जाएगी। जमीन से ऊपर आठ फीट की ऊंचाई तक सीट लगायी जा रही है। शीट लगने से सोना की आभा पर असर नहीं पड़ेगा। बल्कि बार-बार धुलाई से होने वाली क्षति से उसे बचाया जा सकेगा। विशेष परिस्थितियों में शीट हटाई भी जा सकती है।

पीएम मोदी ने भी सराहा था
मंदिर के गर्भगृह में सोना लगने के बाद पूजा करने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने भी सराहा था। उन्होंने इसे अद्भुत और अकल्पनीय कहा था। पीएम मोदी ने कहा कि स्वर्ण मंडन से विश्व के नाथ का दरबार एक अलग ही छवि प्रदर्शित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने गर्भगृह के अंदर चारों ओर लगे स्वर्ण के कार्य को काफी करीब से देखा था। उन्होंने कहा कि दीवारों पर उकेरी गई विभिन्न देवताओं की आकृतियां स्वर्णमंडन के बाद और भी स्पष्ट प्रदर्शित हो रही हैं। स्वर्ण मंडन के बाद गर्भ गृह की आभा कई गुना बढ़ गई है।

महाराजा रणजीत सिंह ने जड़वाया था सोना
वर्ष 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था। तब साढ़े 22 मन सोना लगा था। इसके बाद कई बार सोना लगाने व उसकी सफाई का कार्य प्रस्तावित हुआ लेकिन गतिरोध आता रहा। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही मंदिर के शेष हिस्से और गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की कार्ययोजना बनने लगी थी। 


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