कृषि अनुसंधान परिषद के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री के उद्बोधन के प्रमुख अंश - मानवी मीडिया

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Tuesday, June 14, 2022

कृषि अनुसंधान परिषद के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री के उद्बोधन के प्रमुख अंश


यूपी (मानवी मीडिया)  कृषि अनुसंधान परिषद 'उपकार' के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर इस संस्थान से जुड़े हुए सभी वैज्ञानिकों, पदाधिकारियों को हृदय से बधाई। 

● 33 वर्षों की शानदार यात्रा किसी भी संस्था के लिए अपनी उपलब्धियों के मूल्यांकन का एक अवसर होता है। उपकार के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता एवं  महानिदेशक डॉ. संजय सिंह को धन्यवाद, जिन्होंने आज के ज्वलंत मुद्दे को अपने स्थापना दिवस से जोड़ते हुए इस एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया है। 

● उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है। यहां देश की कुल आबादी की 17% निवास करती है, लेकिन कृषि भूमि 12% ही उत्तर प्रदेश में है। इसके बावजूद देश की 20% खाद्यान्न की आपूर्ति उत्तर प्रदेश करता है। यह यहां की उर्वर भूमि और प्रचुर जल संसाधन की उपलब्धता की ओर हम सबका ध्यान आकृष्ट करता है।

● उत्तर प्रदेश में पोटेंशियल है। अभी हमें बहुत कुछ सामने लाना है। इस क्रम में उपकार के द्वारा सतत कृषि के अभिनव दृष्टिकोण से सम्बंधित यह संगोष्ठी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। 

● अन्नदाता किसानों के हित को देखते हुए ही हमारी सरकार ने वर्ष 2017 में फसल ऋण माफी के एक बड़े कार्यक्रम को आगे बढाया था। वहीं, आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हमारे किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य एमएसपी प्राप्त हो, इसके लिए 2018 में उन्होंने जो एमएसपी की घोषणा की, उसका लाभ आज उत्तर प्रदेश के किसान सफलतापूर्वक प्राप्त कर रहे हैं। 

● रिकॉर्ड उत्पादन और किसानों से सीधे क्रय करने की व्यवस्था आज उत्तर प्रदेश में उपलब्ध है। लेकिन विगत 05 वर्ष के अंदर वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से कृषि विविधीकरण को जिस प्रकार आगे बढ़ाया गया, उसमें उपकार जैसी संस्थाओं के माध्यम से नई तकनीक, उन्नतशील बीज, 04 कृषि विश्वविद्यालयों, 89 कृषि विज्ञान केंद्रों ने जिस प्रकार जमीनी धरातल पर उतारने में सहयोग किया है, उससे अन्नदाता किसानों की आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहयोग मिला है।

● प्रदेश में बीते 05 वर्ष के अंदर हमने 21 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई है। दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को (बाणसागर, सरयू नहर, अर्जुन सहायक आदि) समयबद्ध ढंग से पूरा करके हमने अन्नदाता किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने का प्रयास किया। 

● 2017 में देश का चीनी उद्योग बंदी की ओर अग्रसर था, लेकिन बीते 05 वर्ष में हमने बंद पड़ी चीनी मिलों को संचालित किया।  कोरोना के बीच 120 चीनी मिलें चलती रहीं। इन 05 वर्षों में हमने 1 लाख 75000 करोड़ का भुगतान गन्ना किसानों की करने में सफलता प्राप्त की। 

● आज हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज है कम लागत में विषमुक्त खेती हम कैसे कर सकते हैं। हम आभारी हैं प्रधानमंत्री जी के, जिन्होंने यूनियन बजट में इसके लिए प्रावधान किया। यह विकल्प है "गौ आधारित प्राकृतिक खेती"। प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश से 2020 में कहा था कि क्या गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में हम लोग इसे बढ़ावा दे सकते हैं? औद्यानिक फसलों को, सब्जियों की खेती को क्या हम इस रूप में आगे बढ़ा सकते हैं। उस समय हम लोगों ने "गंगा यात्रा" निकाली थी। गंगा यात्रा ने अनेक स्थानों पर गंगा नर्सरी, गंगा उपवन, गंगा उद्यान आदि स्थापित करने में सफलता प्रॉप्त की। 

● यूनियन बजट में इसका प्रावधान है कि मां गंगा के दोनों तटों के 05-05 किलोमीटर क्षेत्र में हमें प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाना है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इसमें सहयोग करेंगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने बुंदेलखंड के पूरे क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम बनाया है। 

● प्राकृतिक खेती, कम लागत में अच्छा उत्पादन और विष मुक्त खेती का अच्छा माध्यम है। इसके प्रोत्साहन के लिए मैं आप सभी कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान करूंगा, कि यदि आप लोग इस अभियान से जुड़ेंगे तो न केवल किसानों की आमदनी को कई गुना बढाने में हमें सहायता मिलेगी, बल्कि तमाम प्रकार के रोगों से मुक्ति का माध्यम भी मिलेगा और गौ माता की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। हम सभी लोग मिलकर इस कार्यक्रम में अपना योगदान करना चाहिए।

● राज्य सरकार सभी मण्डल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित करा रही है। यहां बीज और उत्पादन के सर्टिफिकेशन की कार्यवाही हो सकेगी। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए इस प्रकार हम अपने प्रदेश को "जैविक प्रदेश" के रूप में विकसित करने में सफल होंगे।

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