बैठक में मत्स्य मंत्री ने कहा कि जलाशयों से मत्स्य उत्पादन की वृद्धि हेतु कार्य करने के वर्तमान शासनादेशों में आवश्यक संशोधन करने पर विचार किया जाय। इसके साथ ही विभागों के सहयोग से जलाशयों के ठेकेदारों की समस्याओं का समाधान करें और प्राप्त सुझाव तथा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व उत्तराखण्ड के शासनादेशों का अध्ययन करते हुए उत्तर प्रदेश के वर्तमान शासनादेशों में आवश्यक संशोधन कर जलाशयों के प्रबन्धन हेतु नीति का निर्धारण किया जाय, जिससे समस्याओं का समाधान हो सके और जलाशयों की मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि हो सके। इस हेतु कमेटी का गठन कराया जा चुका है।
बैठक में मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ0 कुणाल सिल्कू ने कहा कि मंत्री जी द्वारा दिए गए सुझावों का अक्षरशः पालन किया जायेगा और स्थानीय स्तर पर आ रही समस्याओं का शासन स्तर से शीघ्र निराकरण किया जायेगा। उन्होंने मंत्री जी को मत्स्य विभाग, मत्स्य विकास निगम, मत्स्यजीवी सहकारी संघ तथा जलाशयों के ठेकेदारों के साथ बैठक आयोजित करने एवं सीधी वार्ता करने हेतु धन्यवाद दिया।
बैठक में मत्स्यजीवी सहकारी संघ के अध्यक्ष बीरू साहनी, मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ0 राजेन्द्र सिंह, उपनिदेशक डॉ0 हरेन्द्र, उपनिदेशक मोनिशा सिंह, उपनिदेशक अंजना वर्मा तथा प्रदेश के मण्डलों से आये उपनिदेशक/सहायक निदेशक उपस्थित थे। बैठक में बड़ी संख्या में प्रदेश के विभिन्न जनपदों एवं ग्रामीण अंचलों से आये श्रेणी-1, श्रेणी-2 व श्रेणी-3 के जलाशयों के ठेकेदारों ने प्रतिभाग किया और अपनी समस्यायें बतायीं एवं सुझाव दिये। कल दिनांक 02 जून को पूर्वाह्न 11 बजे से श्रेणी-4 एवं श्रेणी-5 के जलाशयों के ठेकेदारों के साथ बैठक आयोजित की जायेगी।