फारूक अब्दुल्ला से ED ने की तीन घंटे पूछताछ - मानवी मीडिया

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Tuesday, May 31, 2022

फारूक अब्दुल्ला से ED ने की तीन घंटे पूछताछ


श्रीनगर (मानवी मीडियानेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से धन शोधन के एक मामले में मंगलवार को तीन घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की। यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में कथित आर्थिक अनियमितता से जुड़ा है। श्रीनगर से लोकसभा सांसद अब्दुल्ला सुबह 11 बजे राजबाग स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे। अंदर जाने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से भी बात की। इस दौरान उन्होंने कुछ आरोप भी लगाए।

दरअसल, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस पूछताछ को जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि मैं समन के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, चुनाव होने हैं और वे तब तक हमें परेशान करेंगे। करीब साढ़े तीन घंटे तक चले सवाल-जवाब के दौर के बाद कार्यालय से बाहर निकलते समय तनाव रहित दिखे, लेकिन उन्होंने बाहर इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों के सवालों का ज्यादा जवाब नहीं दिया।

असल में ईडी ने 27 मई को अब्दुल्ला को धन शोधन के मामले में उसके श्रीनगर कार्यालय में हाजिर होने के लिए समन जारी किया था। अधिकारियों ने बताया कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रहे 84 वर्षीय अब्दुल्ला ने वर्ष 2019 में इसी मामले में अपना बयान दर्ज कराया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वरिष्ठ नेता अधिकारियों के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे जैसे उन्होंने अतीत में किया है।

फारूक अब्दुल्ला वर्ष 2001 से 2012 तक जेकेसीए के अध्यक्ष थे और वर्ष 2004 से 2009 के बीच कथित वित्तीय हेराफेरी के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और ईडी कर रही है। ईडी पहले ही 21 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क कर चुकी है। इसमें अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति शामिल है।

ईडी ने दावा किया कि उसकी अब तक की जांच से पता चला है कि अहसान अहमद मिर्जा ने नामक शख्स ने जेकेसीए के अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर जेकेसीए के कोष के 51.90 करोड़ रुपये की हेरफेर की और इससे हासिल पैसा का इस्तेमाल अपना निजी कारोबार स्थापित करने में किया। इसने श्रीनगर के राममुंशी बाग थाने में दर्ज एक मामले के आधार पर जेकेसीए पदाधिकारियों के खिलाफ धन शोधन की जांच शुरू की। बाद में उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।


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