गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम पर कार्यशाला - मानवी मीडिया

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Wednesday, March 30, 2022

गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम पर कार्यशाला


 लखनऊ, (मानवी मीडिया) गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) पर बेहतर अमल के लिए बुधवार  को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में कार्यशाला आयोजित हुई | कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अभिलाषा मिश्रा ने गर्भ में लिंग की पहचान करने के खिलाफ कानून पर बेहतरअमलकी बात कही | 

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा- एक बेहतर भविष्य के लिये बालिकाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है,  तभी एक स्वस्थ समाज बन सकता है। समाज में बालक - बालिकाओं में भेद किया जाता है, जिसका परिणाम भ्रूण हत्या है । सरकार द्वारा भ्रूण हत्या को रोकने के लिये गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम,1994 लागू किया गया है । अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा - इस अधिनियम के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है । 

नोडल अधिकारी डा. के.डी. मिश्रा ने  कहा -  लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध  "गर्भधारण एवं  प्रसवपूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994" (पीसीपीएनडीटी एक्ट, 1994)  के द्वारा  लगाया गया है ।  गर्भस्थ शिशु / भ्रूण के लिंग की जांच कराना या जाँच करना दोनों कानूनी अपराध है । इसलिए "गर्भधारण एवं  प्रसव पूर्व निदान तकनीकि (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994" प्रदेश में प्रभावी तरीके से वर्तमान में लागू है । 

ऐसा गैर कानूनी कार्य करने वाले और कराने वाले दोनों ही व्यक्ति दंडनीय अपराध के भागीदारी होते हैं | 

नोडल अधिकारी ने कार्यशाला में उपस्थित सभी चिकित्सकों से एक्ट को और प्रभावी तरीके से लागू करने को कहा।

रेडियोलॉजिस्ट डा. पी. के. श्रीवास्तवने कहा- लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों / नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है । ऐसा गैर कानूनी कार्य करवाने वाले व्यक्ति को पांच वर्ष का कारावास एवं एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है तथा ऐसा गैर कानूनी करने वाले को पांच वर्ष का कारावास एवं 50 हजार  तक का जुर्माना हो सकता है ।

सरकार द्वारा चलायी जा रही "मुखबिर योजना' से जुड़कर लिंग चयन/भ्रूण हत्या/अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों/ संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज में सरकार से सहायता प्राप्त की जा सकती है ।

 कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ए.के.चौधरी, जिला सर्विलांस अधिकारी डा. मिलिंद अधिकारी,  जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी,  जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सी0एच0सी) व बाल महिला चिकित्सालय (बीएमसी) व स्त्री रोग विशेषज्ञ व रेडियोलाजिस्ट तथा जिला सलाहकार समिति कीसदस्य रंजना द्विवेदी,मधुबाला तथा एडवोकेट प्रदीप मिश्रा उपस्थित रहे |

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