उडुपी (मानवी मीडिया) कुछ लोगों में कामयाबी पाने का जुनून इतना ज्यादा होता है कि कोई भी मुश्किल उन्हें मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं पाती है. चाहे ये मुश्किल बुढ़ापे के रूप में ही क्यों ना उनके सामने आए? कर्नाटक के उडुपी में रहने वाली 75 साल की एक बुजुर्ग महिला ने अपनी रिसर्च पूरी कर ली है. अगले महीने मंगलौर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में संत माधवाचार्य उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित करेंगे.
डॉक्टरेट की उपाधि से किया जाएगा सम्मानित
द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्ग महिला का नाम ऊषा चडागा है. वो 15 साल पहले केरल के एक संस्कृत विद्यालय के प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई थीं. स्कूल से रिटायर होने के बाद भी उन्होंने किताबों से दूरी नहीं बनाई और अब 75 साल की उम्र में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा.
15 साल पहले रिटायर हुई थी बुजुर्ग महिला
बता दें कि ऊषा चडागा 15 साल पहले तिरुवनंतपुरम के सनातन पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल थीं. जब वो रिटायर होने के बाद उडुपी आईं तो उन्होंने एसएमएसपी संस्कृत कॉलेज ज्वाइन किया.
बुजुर्ग महिला ने संस्कृत में किया है एमए
इसके बाद उन्होंने कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय, मैसूर से संस्कृत में एमए और माधवा दार्शनिक बन्नंजे गोविंदाचार्य से प्रेरणा लेकर विद्वत किया.
ऊषा चडागा ने बताया कि मुझे मेरी थीसिस के लिए डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा. 16 अप्रैल को होने वाले मैंगलोर विश्वविद्यालय के 40वें दीक्षांत समारोह में मुझे श्री माधवाचार्य के 'Jeevaswabhava Vaada' और 'Sarvashabda Vachyatva of Vishnu' के अनूठे सिद्धांतों के आलोचनात्मक विश्लेषण के लिए डॉक्टरेट की उपाधि दी जाएगी. जब मुझे ये सम्मान मिलेगा तब मेरे परिवार सहित मेरे पोता-पोती भी उस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे.