राज्यपाल ने होम्योपैथ चिकित्सा पद्धति की उत्कृष्टता के बारे में भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इसमें अनेक असाध्य से असाध्य रोगों का उपचार बिना किसी दुष्परिणाम के सम्भव है। इस पद्धति से विभिन्न रोगों का बहुत ही कम खर्च पर उपचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सक जनसामान्य को होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दें, ताकि वे इसके लाभ से अवगत होकर अपना सस्ता एवं कारगर इलाज कराकर निरोग रहें।
सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे चिकित्सकों से उन्होंने कहा कि वे गरीब महिलाओं और कुपोषण एवं क्षयरोग ग्रस्त बच्चों को चिकित्सा देने के लिए अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि ये एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें कई रोगों का बेहतर इलाज उपलब्ध है, यदि इस विधा के चिकित्सक प्रतिबद्धता के साथ स्लम बस्तियों और गरीबी में रह रहे बच्चों को इलाज उपलब्ध करायेंगे तो वे गम्भीर रोगों से भी मुक्ति प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों तक बच्चों को कुपोषण से मुक्ति प्रदान करने और महिलाओं के स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण वाली दवाइयां उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गरीब महिलाओं तक इस विधा की दवाइयों की उपलब्धता और जानकारी के प्रचार के लिए ऐसे सम्मेलन किए जाने चाहिए।इस अवसर पर समारोह में उत्तराखण्ड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के मार्ग दर्शन के लिए आभार व्यक्त किया और चिकित्सकों से महिलाओं और बच्चों के रोगों पर शोध करके इस चिकित्सा पद्धति को और मजबूत बनाने की दिशा में कार्य करने को कहा। उन्होंने सम्मेलन में इस चिकित्सा पद्धति से अपने स्वयं के इलाज के अनुभवों को भी व्यक्त किया।
कार्यक्रम में आगरा शाखा के अध्यक्ष डॉ0 राजेन्द्र सिंह, सचिव डॉ0 अनिल कुमार शर्मा सहित विविध जिलों से आए अन्य विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ चिकित्सक भी आनलाइन जुड़े हुए थे।