मुंबई (
मानवी मीडिया)“मेरा परमभाग्य रहा कि छत्रपति शिवाजी का ओजस्वी चरित्र स्वयं जीनेवाले व आम जानता में छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा अक्षुण्ण रखने वाले प्रसिद्ध इतिहासतज्ञ तथा शिवचरित्रकार श्री बाबासाहेब पुरंदरे का स्नेह मुझे मिला. मैं उनके निधन से व्यथित हूं”, इन शब्दों में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने अपना शोक जताया.
छत्रपति शिवाजी के चरित्र लेखन से तथा शिवाजी की जीवनपर आधारित शानदार नाट्य प्रयोग करने से पुरे विश्व में मशहूर स्व. बाबासाहेब पुरंदरे कर्मठ राष्ट्रभक्त भी थे. भारत की स्वतंत्रता के बाद भी पोर्तुगिजों के कब्जे में रहे दादरा – नगर हवेली को स्वतंत्रता प्राप्त कराने में स्व. बाबासाहेब पुरंदरे की अहम् भूमिका थी. इस संग्राम में अग्रणी रहे बाबासाहेब पुरंदरे, संगीतकार सुधीर फडके जैसे मान्यवर तथा सभी सैनिकों की भारत सरकार द्वारा वर्षों उपेक्षा हुई. आखिर वाजपेयी सरकार ने उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का मानपत्र दिया. इसमें अगुवाई करने के लिए बाबासाहेब ने मुझे दी शाबासकी मेरे लिए सदैव अनमोल है. उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनने के बाद मेरे अनुरोध पर उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी शिवचरित्र के नाट्य प्रयोग करवाएं. हाथी-घोड़ों सहित रंगमंच पर छत्रपति शिवाजी का प्रवेश आज भी उत्तर प्रदेशवासी याद करते हैं.
छत्रपति शिवाजी मानों उनके रग-रग में बसे थे. बाबासाहेब पुरंदरे जैसा इतिहासकार, लेखक, राष्ट्रभक्त अब फिर से होना असंभव है”, इन शब्दों में राम नाईक ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
गृहराज्यमंत्री राम नाईक की अगुवाई से दादरा - नगर हवेली के स्वतंत्रता सेनानिओं को राष्ट्र की मान्यता मिली. लालकृष्ण आडवाणी के करकमलों से बाबासाहेब पुरंदरे, ज्येष्ठ संगीतकार सुधीर फडके आदि सभी को स्वतंत्रता सैनिक का मानपत्र देते हुए.