नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-सुप्रीम कोर्ट ने आज हॉकी को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित किए जाने वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील से कहा है कि आपका उद्देश्य अच्छा हो सकता है, लेकिन हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते न ही ऐसा ओदश दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आप चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं। वकील विशाल तिवारी की याचिका में एथलेटिक्स समेत दूसरे खेलों में भारत के कमजोर प्रदर्शन का मसला उठाया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि 1 अरब से ज़्यादा आबादी वाले बड़े देश का ओलंपिक समेत दूसरे अंतर्राष्ट्रीय खेलों में प्रदर्शन फीका रहता है। कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह खेलों पर अधिक संसाधन खर्च करे, ऐसी नीति बनाए जिससे भारत को अधिक मेडल मिल सकें। खिलाड़ियों को ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग दिलाई जाए।
- हमारी सहानुभूति, लेकिन... : हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित करने संबंधी याचिका पर SC का सुनवाई से इनकार |
इस प्रकार कहलाने लगा हॉकी राष्ट्रीय खेल
1928 से 1956 तक का समय भारतीय हॉकी के लिए स्वर्णकाल कहा जाता है। वैसे तो यह खेल लगभग सभी देशों में खेला जाता है, लेकिन 1928 में भारत हॉकी का विश्व विजेता बना था। वहीं इसके बाद हुए ओलंपिक में भारत ने हॉकी में कई स्वर्ण पदक भी अपने नाम किए। इसी के बाद से हॉकी की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि इसे भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाने लगा।