● प्राइवेट मंदिर के खिलाफ जनहित याचिका पोषणीय नहीं : हाईकोर्ट
● छोटे मंदिरों के ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग को लेकर दाखिल थी याचिका
प्रयागराज( मानवी मीडिया)इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर विंध्याचल के निर्माणाधीन कॉरीडोर के दायरे में आने वाले छोटे मंदिरों के ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि इससे पहले भी दाखिल जनहित याचिका यह कहते हुए 30 मार्च 2007 को खारिज की गई थी कि प्राइवेट मंदिर के खिलाफ जनहित याचिका पोषणीय नहीं है।
इसी आधार पर कोर्ट ने याचिका ग्राह्य न मानते हुए उसे खारिज कर दिया है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने दिया है। अरुण पाठक की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पिछले आदेश व मंदिर प्रोजेक्ट की जानकारी दी और कहा कि जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। इस पर कोर्ट ने याचिका ओर सुनवाई से इनकार कर दिया। याची का कहना था कि मंदिर प्रोजेक्ट के तहत तमाम छोटे मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। इस पर रोक लगाई जाए।