नई दिल्ली (मानवी मीडिया): अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद भारत ने पहली बार इस संगठन के नेता से बातचीत की है। दोहा में भारत के दूत ने तालिबान के नेता से मुलाकात की और अफगानिस्तान के क्षेत्र के आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंता का इजहार किया। राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकज़ई से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई। भारतीय राजदूत मित्तल ने भारत की चिंता को भी तालिबान के सामने रखा। भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और किसी भी रूप में आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए। तालिबान के प्रतिनिधि ने भी भारतीय राजदूत को आश्वस्त किया कि भारत की सभी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक तालिबान की ओर से मुलाकात की इच्छा जाहिर की गई थी और दोहा स्थित दूतावास में दोनों प्रतिनिधि मिले। इससे पहले लंबे वक्त तक भारत की नीति तालिबान के साथ बातचीत नहीं करने की रही थी लेकिन अफगानिस्तान में दिनोंदिन बदलते घटनाक्रम के बीच भारत ने अपने सभी विकल्प खुले रखे। हालांकि, तालिबान यह भी चाहता है कि वह भारत के साथ पहले जैसे संबंध बनाकर रख सके। इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ-साथ पश्चिमी देशों के साथ संबंधों में उसके लिए आसानी हो सकती है अगर उसे भारत का साथ मिल गया। भारत के लिए भी चीन और पाकिस्तान की भूमिका को देखते हुए तालिबान के साथ बातचीत के रास्ते खुले रखना जरूरी है।
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Tuesday, August 31, 2021
भारत ने पहली बार की तालिबान से बात, आतंकवाद के मुद्दे पर जताई गंभीर चिंता
नई दिल्ली (मानवी मीडिया): अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद भारत ने पहली बार इस संगठन के नेता से बातचीत की है। दोहा में भारत के दूत ने तालिबान के नेता से मुलाकात की और अफगानिस्तान के क्षेत्र के आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंता का इजहार किया। राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकज़ई से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई। भारतीय राजदूत मित्तल ने भारत की चिंता को भी तालिबान के सामने रखा। भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और किसी भी रूप में आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए। तालिबान के प्रतिनिधि ने भी भारतीय राजदूत को आश्वस्त किया कि भारत की सभी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक तालिबान की ओर से मुलाकात की इच्छा जाहिर की गई थी और दोहा स्थित दूतावास में दोनों प्रतिनिधि मिले। इससे पहले लंबे वक्त तक भारत की नीति तालिबान के साथ बातचीत नहीं करने की रही थी लेकिन अफगानिस्तान में दिनोंदिन बदलते घटनाक्रम के बीच भारत ने अपने सभी विकल्प खुले रखे। हालांकि, तालिबान यह भी चाहता है कि वह भारत के साथ पहले जैसे संबंध बनाकर रख सके। इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ-साथ पश्चिमी देशों के साथ संबंधों में उसके लिए आसानी हो सकती है अगर उसे भारत का साथ मिल गया। भारत के लिए भी चीन और पाकिस्तान की भूमिका को देखते हुए तालिबान के साथ बातचीत के रास्ते खुले रखना जरूरी है।
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