बिजली वितरण कंपनियों को 90 हजार करोड़ के घाटे का अनुमान - मानवी मीडिया

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Wednesday, August 4, 2021

बिजली वितरण कंपनियों को 90 हजार करोड़ के घाटे का अनुमान


नयी दिल्ली (मानवी मीडिया): भारत में ज्यादातर बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) हर साल घाटे में रहती हैं और वित्त वर्ष 2021 में उन्हें कुल 90,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है।

नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाते हुए कहा गया है कि एक के बाद एक होने वाले घाटे के कारण बिजली उत्पादकों को समय पर भुगतान नहीं कर पातीं, बेहतर तरीके से बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये जरूरी निवेश नहीं कर पातीं या विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल करने की तैयारी नहीं कर पातीं।

नीति आयोग ने आज एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें ऐसे सुधारों के बारे में बताया गया है, जो देश के विद्युत वितरण सेक्टर को बदल देंगे। यह रिपोर्ट इस बिजली वितरण क्षेत्र सम्बंधी नीति-निर्माण में सुधार लाने की पहल है।

रिपोर्ट का शीर्षक टर्निंग एराऊंड दी पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर (विद्युत वितरण सेक्टर में आमूल परिवर्तन) है और इसे नीति आयोग, आरएमआई और आरएमआई इंडिया ने मिलकर तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि आरएमआई इंडिया, भारत में स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में काम करता है और यह अमेरिका के रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) से सम्बद्ध है।इस रिपोर्ट को नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने जारी किया।

रिपोर्ट में भारतीय और दुनिया के बिजली वितरण सेक्टर में किये जाने वाले सुधार प्रयासों की समीक्षा की गई है। देश में मौजूद नीतिगत अनुभवों से प्राप्त होने वाले उत्कृष्ट व्यवहारों और सीख को इसमें शामिल किया गया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, “इस रिपोर्ट में कई महत्त्वपूर्ण सुधारों को परखा गया, जैसे वितरण में निजी क्षेत्र की भूमिका, बिजली की खरीद, नियमों की स्थिति, नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण और बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाना।” उन्होंने कहा कि एक मजबूत और कारगर वितरण सेक्टर जरूरी है, चाहे व्यापार सुगमता में सुधार लाने के लिये हो या जीवन को और आसान बनाने के लिये हो।

इस मौके पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के सारस्वत ने कहा, “इस रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं के लिये सुधार विकल्प की एक पूरी सूची दी गई है, जिससे वे बिजली वितरण सेक्टर को सही रास्ते पर ला सकें और उसे फायदेमंद बना सकें। नीति आयोग इन सुधारों पर अमल करने के लिये कुछ राज्यों के साथ साझेदारी करेगा।”

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