लखनऊ (मानवी मीडिया) माँ दुर्गा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा कल 20 जून को एक काव्य गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन लाईन किया गया।जिसकी अध्यक्षता सहित्य भूषण वरिष्ठ साहित्य्कार कमलेश मृदु ने की मुख्य अतिथि हास्य कवि श्याम मिश्रा रहे विशिष्ट अतिथी सम्पत्ति मिश्रा व अति विशिष्ट अतिथि इन्द्रा सन इन्दु उत्तर प्रदेश
शासन् रही । वाणी वन्दना अलका केसरी सोनभद्र ने किया।संचालन कवयित्री अलका अस्थाना ने किया जो संस्था की संस्थापक है।निवेदक संजय निराला रहे।
पहले आये काव्य भ्रमण बैसवाड़ी ने इन पंक्तियों द्वारा
फर्साधर परशुराम , एक बार फिर आ जाओ।
बढ़े सहस्त्राबाहु यहां फिर,उन्हें सबक सिखा जाओ।।
धन पिपाशु कुरोना में भी, लूटते हैं "भ्रमर"- 'भ्रमर';
इन पापी, लोभी, दुष्टों पर, बिजली बन घहरा जाओ।
बहुत ही उम्दा शुरुआत की!
अलका केसरी ने इन पंक्तियों
संग वो था सुहानी मुलाक़ात थी।
खूब तारों भरी चाँदनी रात थी।।
द्वारा बहुत सुन्दर एहसास उकेरा!
संजय निराला ने इन पंक्तियों द्वारा
जिंदगी के जो भी इरादे रहे
साथ चलते रहे जो वादे रहे
मुड़ कर कभी हमने पुछा नहीं
अब देते ही रहे जो तगादे रहे !
अलका अस्थाना अमृतमयी जी ने
इन पंक्तियों द्वारा न जाने फिर कब रात हो जाये।
बाढ़ के शहर में बरसात हो जाये।
मंच पर अपने भावों को बाखूबी उकेरा !
इंदू ने शहर की आपाधापी से बहुत दूर गांव के कोमल भावनाओं को बचपन से जोड़ कर एक जीवंत गीत प्रस्तुत किया–
"आओ आज दिखाएं तुमको,
झांकी अपने गांव की।
हाथ बंटाते सब हिलमिल कर,
भाव नहीं है दुराव की।।"
कार्यक्रम अध्यक्ष कमलेश मृदु जी ने इन पंक्तियों
हम धरा पर खींच लायेंगे सबेरों को.
मात देकर के रहेंगे हम अंधेरों को. द्वारा आसा की नयी ऊर्जा का संचार किया!