प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में डॉक्टरों के योगदान को सराहा - मानवी मीडिया

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Sunday, June 27, 2021

प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में डॉक्टरों के योगदान को सराहा


नई दिल्ली (मानवी मीडिया): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में डॉक्टरों के योगदान की सराहना करते हुए चिकित्सकों को एक जुलाई को आयोजित होने वाले ‘डॉक्टर दिवस’ की अग्रिम शुभकामनाएं दी और कहा कि उनके समर्पण के कारण महामारी से असंख्य लोगों की जान बचाई जा सकी है। मोदी ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा, “एक जुलाई को हम राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस मनाएंगे। ये दिन देश के महान चिकित्सक और स्टेट्समैन डॉक्टर बीसी राय की जन्म-जयंती को समर्पित है। कोरोना-काल में डॉक्टरों के योगदान के हम सब आभारी हैं। हमारे डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए हमारी सेवा की इसलिए इस बार राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस और भी ख़ास हो जाता है।”उन्होंने चिकित्सा जगत में सबसे सम्मानित हिपोक्रेट्स का उद्धरण देते हुए कहा, “जहाँ आर्ट ऑफ मेडिसिन के लिए प्रेम होता है वहाँ मानवता के लिए भी प्रेम होता है। डॉक्टर इसी प्रेम की शक्ति से ही हमारी सेवा कर पाते हैं इसलिए हमारा ये दायित्व है कि हम उतने ही प्रेम से उनका धन्यवाद करें व उनका हौसला बढ़ाएँ।”

 मोदी ने डॉक्टर्स की मदद के लिए आगे आने वाले लोगों का जिक्र करते हुए कहा, “श्रीनगर से एक ऐसे ही प्रयास के बारे में मुझे पता चला। यहाँ डल झील में एक बोट एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की गई। इस सेवा को श्रीनगर में एक हाउस बोट के मालिक तारिक़ अहमद पतलू जी ने शुरू किया है। उन्होंने खुद भी कोविड-19 से जंग लड़ी है और इसी ने उन्हें एम्बुलेंस सेवा शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उनकी इस एम्बुलेंस सेवा से लोगों को जागरूक करने का अभियान भी चल रहा है वे लगातार एम्बुलेंस से अनाउंसमेंट भी कर रहे हैं। कोशिश यही है कि लोग मास्क पहनने से लेकर दूसरी हर ज़रूरी सावधानी बरतें।”प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ़ भारत की लड़ाई की एक बड़ी विशेषता है। इस लड़ाई में देश के हर व्यक्ति ने अपनी भूमिका निभाई है। मैंने 'मन की बात' में अक्सर इसका ज़िक्र किया है लेकिन कुछ लोगों को शिकायत भी रहती है कि उनके बारे में उतनी बात नहीं हो पाती है। अनेक लोग चाहे बैंक स्टाफ हो, टीचर्स हों, छोटे व्यापारी या दुकानदार हों, दुकानों में काम करने वाले लोग हों, रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन हों, वॉचमैन या फिर पोस्टमैन और पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी- दरअसल यह लिस्ट बहुत ही लंबी है और हर किसी ने अपनी भूमिका निभाई है। शासन प्रशासन में भी कितने ही लोग अलग-अलग स्तर पर जुटे रहे हैं।

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