उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:- - मानवी मीडिया

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Friday, June 25, 2021

उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

 

वर्ष 2021-22 में 30 करोड़ पौधरोपण हेतु प्रदेश के समस्त शासकीय
विभागों/मा0 न्यायालय परिसरों/कृषकों/संस्थाओं/व्यक्तियों/शिक्षण
संस्थाओं आदि को वन एवं वन्य जीव विभाग की पौधशालाओं से
निःशुल्क पौध उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

यह निर्णय प्रदेश के पर्यावरणीय लाभ एवं
कृषकों की आय में वृद्धि के दृष्टिगत लिया गया

लखनऊ (मानवी मीडिया) मंत्रिपरिषद ने वर्ष 2021-22 में 30 करोड़ पौधरोपण हेतु प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों/मा0 न्यायालय परिसरों/कृषकों/संस्थाओं/व्यक्तियों/निजी एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं/भारत सरकार के विभाग एवं उपक्रम/स्थानीय निकायों यथा ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, प्राधिकरण आदि/रेलवे/रक्षा/औद्योगिक इकाइयां/सहकारी समितियां एवं अन्य को वन एवं वन्य जीव विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध (यूकेलिप्टस एवं पाॅपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह निर्णय प्रदेश के पर्यावरणीय लाभ एवं कृषकों की आय में वृद्धि के दृष्टिगत लिया गया है।


ज्ञातव्य है कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 में 30 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें से लगभग 10.80 करोड़ पौधों का रोपण वन विभाग द्वारा तथा लगभग 19.20 करोड़ पौधों का रोपण राज्य सरकार के अन्य राजकीय विभागों द्वारा जनहित सहभागिता के माध्यम से कराया जाना है। इसमें नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, जनपद स्तरीय विभागों के मुख्यालय, विकास खण्डों, कृषकों, समाज सेवी संस्थाओं तथा एन0एस0एस0 के कार्यकर्ताओं का सहयोग, पौधरोपण में कोरोना प्रोटोकाॅल का ध्यान रखते हुए, प्राप्त किया जाएगा।

वृक्षारोपण जन आन्दोलन, 2021-22 का उद्देश्य प्रदेश के वनावरण व वृक्षावरण में वृद्धि, जैवविविधता का संरक्षण एवं विकास तथा जन सहयोग से वानिकी को जन आन्दोलन बनाया जाना है। वन विभाग वृक्षारोपण हेतु एक तकनीकी विभाग है। विभाग में पौधरोपण हेतु पर्याप्त बजट उपलब्ध है और निर्धारित 10.80 करोड़ पौधरोपण के सापेक्ष 1755 पौधशालाओं में 42 करोड़ पौधे तैयार किये जा चुके हैं। वन विभाग को छोड़कर अन्य राजकीय विभागों के पास सामान्यतः बजट उपलब्ध नहीं रहता है। वन विभाग द्वारा इसी कारण प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों एवं अन्य को वन विभाग एवं उद्यान विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध (यूकेलिप्टस और पाॅपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की गयी है।

30 करोड़ पौधरोपण से प्रदेश की हरीतिमा में वृद्धि होगी तथा प्रदूषण की रोकथाम एवं भूजल स्तर में बढ़ोत्तरी होगी। पौधों के रोपण से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि होगी। इससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन होगा। अभियान में शासकीय विभागों द्वारा वृक्षारोपण कराये जाने से मानकों के अनुसार रोजगार का भी सृजन होगा।
 
विभिन्न जनपदों में स्थापित 6600 राजकीय नलकूपों की जल वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण एवं 
उपकरणों के प्रतिस्थापना की परियोजना की कुल लागत 28579.83 लाख रु0 का व्यय प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थापित 6600 राजकीय नलकूपों की जल वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण एवं उपकरणों के प्रतिस्थापना की परियोजना की कुल लागत 28579.83 लाख रुपये (जी0एस0टी0 सहित) के व्यय प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

परियोजना को 03 वर्षों, वर्ष 2020-21 से प्रारम्भ होकर वर्ष 2022-23 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के पूर्ण होने से 11.53 हेक्टेयर प्रति नलकूप की दर से लगभग 76082 हेक्टेयर सिंचन क्षमता की पुनस्र्थापना होगी तथा लगभग 70,000 कृषक परिवार लाभान्वित होंगे।

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में प्रदेश में 34401 राजकीय नलकूपों द्वारा कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। वर्ष 2018-19 की वार्षिक गणना में 6600 राजकीय नलकूप ऐसे पाये गये, जिनकी जल वितरण प्रणाली/पम्प हाउस/डिलीवरी टैंक/पक्की गूल/पी0वी0सी0 पाइप जीर्ण-शीर्ण हो चुके हंै। इन्हीं 6600 राजकीय नलकूपों के आधुनिकीकरण एवं उपकरणों के प्रतिस्थापना हेतु यह परियोजना तैयार की गयी है।

प्रदेश के कुल सिंचित क्षेत्रफल का लगभग 73 प्रतिशत भाग नलकूपों से सींचा जाता है, जिसमें निजी एवं राजकीय नलकूप शामिल हैं। राजकीय नलकूपों का निर्माण लघु एवं सीमान्त कृषकों के बहुतायत वाले क्षेत्रों में कराया जाता है। यह परियोजना लघु एवं सीमान्त कृषकों के लिए विशेष लाभप्रद है। इससे खाद्यान्न उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

उ0प्र0  चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद विधेयक 2021
को विधान मण्डल में प्रस्तुत किए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश  चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद विधेयक 2021 को विधान मण्डल में प्रस्तुत किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। साथ ही, मंत्रिपरिषद द्वारा प्रश्नगत प्रायोजना के सम्बन्ध में अग्रतर आवश्यक निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

चित्रकूट की समस्त प्रकार की सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय तथा स्थापत्य सम्बन्धी विरासत की सौंदर्यपरक गुणवत्ता को परिरक्षित करने, विकसित करने तथा अनुरक्षित करने की योजना तैयार करने, ऐसी योजना के क्रियान्वयन का समन्वय एवं अनुश्रवण करने और क्षेत्र में एकीकृत पर्यटन विकास तथा विरासत-संरक्षण एवं प्रबन्धन हेतु संगत नीतियां विकसित करने, जिला चित्रकूट के किसी विभाग/स्थानीय निकाय/प्राधिकरण को चित्रकूट क्षेत्र के विरासतीय संसाधनों को प्रभावित करने वाली या सम्भावित रूप में प्रभावित करने वाली किसी योजना, परियोजना या किसी विकासगत प्रस्ताव के सम्बन्ध में परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए उत्तर प्रदेश  चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन किया जाना प्रस्तावित है।

प्रस्तावित प्रायोजना से चित्रकूट की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगी तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
 
उ0प्र0 विन्ध्य धाम तीर्थ विकास परिषद विधेयक 2021
को विधान मण्डल में प्रस्तुत किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विन्ध्य धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन हेतु उत्तर प्रदेश विन्ध्य धाम तीर्थ विकास परिषद विधेयक 2021 को विधान मण्डल में प्रस्तुत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रश्नगत प्रायोजना के सम्बन्ध में अग्रतर आवश्यक निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत भी किया गया है।

वर्तमान लोकप्रिय सरकार द्वारा विन्ध्य धाम क्षेत्र में पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के लिए उच्च स्तरीय पर्यटक अवस्थापना सुविधा उपलब्ध कराने एवं इस क्षेत्र की समस्त प्रकार की सांस्कृतिक तथा पारिस्थितिकीय सम्बन्धी विरासत की सौन्दर्यपरक गुणवत्ता को परिरक्षित करने, विकसित करने तथा अनुरक्षित करने और क्षेत्र में एकीकृत पर्यटन विकास तथा विरासत-संरक्षण एवं प्रबन्धन हेतु संगत नीतियां विकसित करने हेतु उत्तर प्रदेश विन्ध्य धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन किया जाना प्रस्तावित है।

पुराणों में विन्ध्य क्षेत्र का महत्व तपोभूमि के रूप में वर्णित है। माँ विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। देश के 51 पीठों में से माँ विन्ध्यवासिनी ही पूर्णपीठ है। माँ विन्ध्यवासिनी देवी का मंदिर विन्ध्य पर्वत श्रृंखला के मध्य पतित पावनी गंगा नदी पर स्थित है। माँ विन्ध्यवासिनी के दर्शन के लिए पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। चैत्र व शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां देश के कोने-कोने से लाखों संख्या में श्रद्धालु माँ विन्ध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिए आते हैं। देश के 51 शक्ति पीठों में से माँ विन्ध्यवासिनी शक्तिपीठ की सबसे खास बात यह है कि यहां 03 किलोमीटर के दायरे में 03 प्रमुख देवियां विराजमान हैं। कालीखोह पहाड़ी पर महाकाली देवी तथा अष्ठभुजा पहाड़ी पर अष्ठभुजा देवी विराजमान हैं। दोनों के केन्द्र में माँ विन्ध्यवासिनी देवी हैं।

प्रस्तावित प्रायोजना से मीरजापुर की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगी तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
 
लखनऊ में डाॅ0 अम्बेडकर सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना हेतु संस्कृति विभाग, उ0प्र0 शासन 
को नजूल भूमि के आवंटन/हस्तान्तरण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने वित्त (लेखा) अनुभाग-2 के कार्यालय ज्ञाप संख्या-ए-2-75/दस-77-14(4)/74 दिनांक 03.02.1977 के प्राविधानों को शिथिल करते हुए अपवादस्वरूप इस कार्यालय ज्ञाप के अधीन ऐशबाग ईदगाह के सामने मौजा भदेवा, लखनऊ की नजूल भूमि खसरा संख्या-232, 233, 234, 236 तथा 237 का अंश भाग क्षेत्रफल 5493.52 वर्गमीटर रिक्त भूमि, जिसका स्वामित्व राज्य सरकार में निहित है, को डाॅ0 अम्बेडकर सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना हेतु संस्कृति विभाग के पक्ष में कतिपय शर्तों एवं प्रतिबंधों के अधीन निःशुल्क आवंटित/हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार आवंटित/हस्तान्तरित नजूल भूमि पर कोई धार्मिक अथवा ऐतिहासिक महत्व की इमारत न हो। आवंटित/हस्तान्तरित नजूल भूमि यदि निर्धारित प्रयोजन से भिन्न प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती है, तो आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन से पुनः अनुमति प्राप्त की जाएगी। आवंटित/हस्तान्तरित नजूल भूमि की आवश्यकता न होने या 03 वर्षों तक निर्धारित प्रयोजन के लिए उपयोग में नहीं लायी जाती है तो उसे आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, उ0प्र0 शासन को वापस करना होगा। नजूल भूमि के उपरोक्त आवंटन/हस्तान्तरण को भविष्य में दृष्टांत नहीं माना जाएगा।

इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा गवर्मेन्ट ग्राण्ट एक्ट, 1895 को रिपील कर दिए जाने के दृष्टिगत आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-4 के शासनादेश संख्या-3/2020/460/आठ-4-2020-
137एन/2013टीसी दिनांक 27.07.2020 के माध्यम से नजूल भूमि के प्रबन्धन, निस्तारण तथा फ्री होल्ड किए जाने सम्बन्धी समस्त शासनादेशों को स्थगित किए जाने के फलस्वरूप मंत्रिपरिषद के अनुमोदन से विभिन्न विभागों को आवंटित/हस्तान्तरित नजूल भूमि के सम्बन्ध में किसी प्रकार के संशोधन/परिवर्धन तथा भविष्य में विभिन्न विभागों को नजूल भूमि के आवंटन/हस्तान्तरण हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।

ज्ञातव्य है कि प्रमुख सचिव, संस्कृति विभाग के अर्द्धशासकीय पत्र संख्या-960/चार-21, दिनांक 10.06.2021 के माध्यम से अवगत कराया गया है कि संस्कृति विभाग द्वारा डाॅ0 अम्बेडकर सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की जानी है। इसमें लगभग 750 व्यक्ति की क्षमता का प्रेक्षागृह, पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र, छायाचित्र दीर्घा व संग्रहालय, बैठकों व आख्यान हेतु मल्टीपरपज सभागार, कार्यालय, भारत रत्न डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति की स्थापना एवं लैण्डस्केपिंग, डाॅरमेट्री, कैफेटेरिया, शौचालय, पार्किंग व अन्य जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस पर प्रारम्भिक आगणन के आधार पर 45.04 करोड़ रुपये की लागत आएगी। संस्कृति विभाग द्वारा डाॅ0 अम्बेडकर सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना हेतु जनपद लखनऊ में 02 से 03 एकड़ भूमि उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध किया गया है।
 
नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर के विकास हेतु नागरिक
उड्डयन विभाग के नाम दर्ज 1334 हे0 भूमि ज्वाइंट वेंचर कम्पनी
नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट लि0 को लीज पर दिए जाने हेतु
स्टाम्प शुल्क एवं निबन्धन शुल्क में छूट का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर के विकास हेतु नागरिक उड्डयन विभाग के नाम दर्ज 1334 हेक्टेयर भूमि ज्वाइंट वेंचर कम्पनी नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट लि0 (एन0आई0ए0एल0) को लीज पर दिए जाने हेतु स्टाम्प शुल्क एवं निबन्धन शुल्क में छूट के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा परियोजना के सम्बन्ध में समय पर यथा आवश्यकतानुसार निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की गई है।

यह निर्णय जनपद गौतमबुद्धनगर में जेवर के निकट नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना में सहायक होगा। इस एयरपोर्ट की स्थापना से आमजन को हवाई सेवा में सुविधा होगी तथा सम्पूर्ण क्षेत्र का तेजी से आर्थिक विकास सम्भव होगा।
 
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में एडवांस 
आॅप्थेल्मिक सेण्टर एवं सर्विस ब्लाॅक के निर्माण में उच्च विशिष्टियों के प्रयोग के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में एडवांस आप्थेल्मिक सेण्टर एवं सर्विस ब्लाॅक के निर्माण कार्य में प्रयुक्त उच्च विशिष्टियों पर अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि संस्थान में एडवांस आॅप्थेल्मिक सेण्टर एवं सर्विस ब्लाॅक के निर्माण कार्य हेतु व्यय वित्त समिति द्वारा 6,139.72 लाख रुपये की लागत अनुमोदित की गयी है। परियोजना के तहत भूतल एवं द्वितीय तल का निर्माण कार्य किया जाना है। इस परियोजना के अन्तर्गत भूतल पर फायर, इलेक्ट्रिकल, पार्किंग आदि तथा प्रथम तल पर सेमिनार हाॅल, पैण्ट्री, मीटिंग रूम, टेलीमेडिसिन रूम आदि तथा द्वितीय तल पर लैब, डिपार्टमेण्टल लाइब्रेरी आदि का निर्माण कार्य प्रस्तावित है, जिसमें उच्च विशिष्टियां भी सम्मिलित हैं। उच्च विशिष्टियों के अन्तर्गत स्ट्रक्चर ग्लेजिंग, एल्युमिनियम कम्पलीट पैनल, डिजाइनर जी0आर0सी0 जाली, एण्टीस्क्डि, एण्टीबैक्टीरियल फ्लोरिंग, मेटल फाॅल्स सीलिंग, ग्लास डोर, सैण्ड स्टोन क्लेडिंग का प्रयोग किया जाना है।

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में एडवांस आॅप्थेल्मिक सेण्टर एवं सर्विस ब्लाॅक के निर्माण कार्य के पूर्ण हो जाने से आॅप्थेल्मिक डिस्आॅर्डर के रोगियों को समुचित उपचार, नेत्रहीनों के लिए काॅर्नियल ट्रांसप्लाण्ट की चिकित्सा सुविधा का लाभ मिलेगा। नेत्रहीनों के लिए काॅर्नियल ट्रांसप्लाण्ट की सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा का लाभ भी मिलेगा।

डाॅ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के नवीन परिसर, 
गोमतीनगर विस्तार योजना के प्रथम चरण के निर्माण कार्याें के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने डाॅ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के नवीन परिसर, गोमतीनगर विस्तार योजना के प्रथम चरण के निर्माण कार्याें की प्रायोजना के अन्तर्गत वाह्य विद्युत संयोजन हेतु 04 करोड़ 77 लाख 93 हजार 357 रुपये को प्रायोजना की पुनरीक्षित लागत 01 अरब 99 करोड़ 72 लाख 24 हजार रुपये में सम्मिलित करते हुए, कुल 02 अरब 04 करोड़ 50 लाख 17 हजार 357 रुपये एवं नियमानुसार वास्तविकता के आधार पर देय जी0एस0टी0 को सम्मिलित करते हुए व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि डाॅ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में एम0बी0बी0एस0 के अतिरिक्त एम0डी0/एम0एस0 एवं डी0एम0/एम0सीएच0 पाठ्यक्रम संचालित हैं। संस्थान के गोमतीनगर विस्तार स्थित नवीन परिसर में संस्थान के छात्र/छात्राओं हेतु हाॅस्टल, नर्सेज हाॅस्टल, फैकल्टी रेजिडेंस, बेसमेंट पार्किंग एवं वाह्य विद्युत संयोजन सम्बन्धी कार्य प्रथम चरण के अन्तर्गत कराया जा रहा है।
 
जनपद मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे से वृन्दावन (पागल बाबा मन्दिर)
तक 4-लेन मार्ग का निर्माण एवं मार्ग निर्माण के संरेखण में आ रही
यमुना नदी पर 2-लेन सेतु के निर्माण कार्य की व्यय वित्त समिति द्वारा
अनुमोदित लागत 25155.03 लाख रु0 व्यय का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे से वृन्दावन (पागल बाबा मन्दिर) तक (अन्य जिला मार्ग) 4-लेन मार्ग का निर्माण (लम्बाई 7.278 कि0मी0) एवं मार्ग निर्माण के संरेखण में आ रही यमुना नदी पर 2-लेन सेतु के निर्माण कार्य की व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 25155.03 लाख रुपये व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि प्राचीन नगरी मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के रूप में देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इसी नगरी के आसपास अन्य प्राचीन स्थल वृन्दावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना आदि स्थान है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाएं दिखायीं। इन प्राचीन स्थलों में वृन्दावन धाम एक अद्वितीय स्थान है। यहां पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं तीर्थयात्री दर्शनार्थ यमुना एक्सप्रेस-वे, एन0एच0-02 एवं पी0बी0एम0बी0 (एस0एच0-33) होते हुए इस मार्ग से आते हैं। सप्ताहांत एवं धार्मिक आयोजनों के अवसर पर इस मार्ग पर यातायात का घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। उपलब्ध मार्ग की चैड़ाई यातायात घनत्व को देखते हुए उपयुक्त नहीं है। इसे बढ़ाकर 04 लेन किया जाना अति आवश्यक है। प्रश्नगत मार्ग के निर्माण हो जाने से इन प्राचीन स्थलों को देखने के लिए देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालु/तीर्थयात्रियों तथा क्षेत्रीय जनमानस को आवागमन में सुविधा होगी।
 
जनपद सहारनपुर में एन0एच0-709बी (चुनहेटी) से अम्बाला रोड होते हुए दिल्ली-यमुनोत्री मार्ग 
(एस0एच0-57) के कि0मी0 171.00 (देवला) तक 04-लेन बाईपास मार्ग के निर्माण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद सहारनपुर में एन0एच0-709बी (चुनहेटी) से अम्बाला रोड होते हुए दिल्ली-यमुनोत्री मार्ग (एस0एच0-57) के कि0मी0 171.00 (देवला) तक (लम्बाई 19.125 कि0मी0) 04-लेन बाईपास मार्ग के निर्माण की सम्पूर्ण प्रायोजना की व्यय-वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 20022.13 लाख रुपये के व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि जनपद सहारनपुर के एक ओर हरियाणा राज्य के जिला यमुना नगर एवं अम्बाला और दूसरी ओर उत्तराखण्ड राज्य के जिला देहरादून व हरिद्वार स्थित हैं। जनपद सहारनपुर में राज्य राजमार्ग सं0 57 के कि0मी0 187 से पौराणिक माँ शाकुम्भरी देवी तक शक्तिपीठ आने जाने का एक मात्र रास्ता है। माँ शाकुम्भरी देवी धाम में लगने वाले मेले में हरियाणा, उत्तराखण्ड एवं जनपद मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ आदि से श्रद्धालु इसी मार्ग का प्रयोग करते हुए आते हैं। यह परियोजना जनपद सहारनपुर को जाम से मुक्ति दिलाने एवं माँ शाकुम्भरी देवी की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं हेतु पर्यटन की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है।

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