नई दिल्ली (मानवी मीडिया) लोगों के चेहरे पहचानने के लिए उनका बायोमीट्रिक डाटा चुराकर अपने सर्वर पर स्टोर करने के लिए फेसबुक 4,783 करोड़ रुपए का मुआवजा देगा। कंपनी ने फेशियल रिकग्निशन (चेहरा पहचानने) की तकनीक के जरिए इस डाटा के आधार पर फोटो टैग करने का फीचर दिया था।
इसे निजता का उल्लंघन मानकर दिसंबर तक 15,71,608 यूजर्स ने मुकद्दमे किए थे। सामूहिक सुनवाई के दौरान मुआवजे पर समझौता हुआ। सैनफ्रांसिस्को की संघीय अदालत के जज ने इस समझौते पर सहमति दे दी। फेसबुक को इलेनॉयस के बायोमीट्रिक इन्फॉर्मेशन प्राइवेसी एक्ट के उल्लंघन का दोषी माना गया।
जज डोनाटो ने कहा कि तीन लोगों ने समझौते पर आपत्ति जताई, लेकिन बड़ी संख्या में समर्थन मिलने पर सहमति दी जा रही है। यह निजता उल्लंघन पर सबसे बड़ा मुआवजा है और फेसबुक यूजर्स के लिए सबसे बड़ी जीत है। दावा करने वाले हर यूजर्स को 345 डॉलर यानी करीब 25,390 रुपया मुआवजा मिलेगा।
फेसबुक के खिलाफ ये मुकद्दमे 2015 से शुरू हुए थे। धीरे-धीरे मुकद्दमा करने वाले बढ़े। 2020 तक फेसबुक 4,047 करोड़ डॉलर चुकाने को राजी हो चुका था, लेकिन जज के हस्तक्षेप के बाद राशि बढ़ाई गई।
सभी पक्ष फेसबुक द्वारा अपनी नीति में किए बदलावों पर भी अब संतुष्ट हैं। इन बदलावों के तहत अब उन यूजर्स के चेहरे पहचानने के विकल्प को ऑफ रखेगा, जिन्हाेंने अपनी तस्वीरों पर बायोमीट्रिक स्कैन की अनुमति नहीं दी है।
मुकद्दमे में शामिल यूजर्स का बिना अनुमति स्टोर किया डाटा डिलीट करेगा। इनमें से जो लोग तीन वर्ष से फेसबुक पर एक्टिव नहीं हैं, उनका डाटा भी फेसबुक को डिलीट करना होगा।